हदीस शरीफ़
"लअनल्लाहुल मुतश बिहीन मिनरिजाल बिन्निसाइ वलमुतशब्बिहात मिनन निसाए बिर्रिजाल"
से शाना से नीचे बाल रखने की हुरमत साबित होती है ?
जवाब : इस हदीसे पाक से शानों से नीचे बाल रखने की मुतलक़न हुरमत तो क्या मुतलक़न कराहत भी साबित नहीं होती हाँ औरतों से तशब्बोह करने वाले मर्दो पर जैसे हिजड़े, जन्खे वगैरह और मर्दो से मुशाबिहत करने वाली औरतों पर वईद ज़रूर की गयी है शानों से नीचे बाल रखने से लाजिम नहीं कि औरतों के बालों से तशब्बोह हो जाए,
हज़रत अनस बिन मालिक हजरत अबू महजूरा हजरत इमाम हसन बिन अली और सब्दुल्लाह बिन हारिस रजी अल्लाहु तआला अन्हुम के मुबारक बाल औरतों से क़तअन मुशाबह न थे और मलंगाने सिलसिलए आलिया बदीइया मदारिया और ख्वाजा गेसू दराज के बाल और सैयद जमालुद्दीन जानेमन जन्नती के बाल औरतों के बालों से बिल्कुल मुशाबह नहीं
इसी तरह उस शख्स के बाल जो रेश और सीने की तरफ़ आगे डाले जाते हों औरतों के बालों से मुशाबह नहीं कि औरतें अपने बालों को आदतन पुश्त की तरफ़ डालती हैं
बुख़ारी शरीफ़ में है एक रिवायत दूसरी रिवायत की तफ़सीर पस अलमुशतबहीन का माना अलमुख़न्नसीन हुआ
"कि जहाँ मर्दो और औरतों के लिबास यकसाँ हों और लिबास में एक दूसरे से इम्तियाज़ न होता हो वहाँ किसी दूसरी चीज़ से इम्तियाज़ कर लेंगे जैसे एहतेजाब व पर्दा वगैरह से"
मालूम हुआ कि अगर मर्दो और औरतों की वजअ क़तअ में किसी तरह से कोई फ़र्क हो जाए तो तशब्बोह में दाखिल नहीं
इमाम कुस्तलानी ने भी हदीस मजकूर में तशब्बोह से मुराद लिबास और जीनत में तशब्बोह लिया है "यानी लिबास और जीनत की चीजों में मसलन दुपट्टा ओढ़नी और बालियाँ पहनने में मर्द व औरत एक दूसरे का तशब्बोह न अपनायें मजमउल बहार में “ अलमुखसिीन " की तशरीह अल्लामा किरमानी व अल्लामा नुवी की तशरीहात से मालूम हुआ कि मुखन्नस से मुराद वह शख्स है जो अफ़आल व अकवाल और अख़लाक़ व हरकात में औरतों से तशब्बोह इख्तियार करे
नेज़ मुखन्नस की दो क़िस्में हैं
1.मुख़न्नस तबई और
2.मुख़न्नस तकलीफ़ी,
मोजिबे लागत मुख़नस तकलीफ़ी है जो बतकल्लुफ़ औरतों जैसा बनने की कोशिश करता है जैसे नाचने गाने वाले लौंडे और अन्दो । मुखन्ना खिलकी मोमिनी लागत नहीं । अलग़रज़ बुखारी शरीफ़ की दूसरी रिवायत और मुफस्सिरीन हदीस अल्लामा ऐनी , अस्कलाबी , कुस्तलानी , किरमानी , नूवदी और साहिबे मजमउल बहार की तशरीहात से साबित हुआ कि हदीस पाक से मुराद वह मुखन्निसीन हैं जो बतकल्लुफ़ औरत बनना चाहते हैं और औरतों से तशब्बोह इख्तियार करते हैं जैसे नाच नौटंकी में नाचने गाने वाले वग़ैरह, उन्हीं लोगों पर अल्लाह और उसके रसूल की लानत है और वह मुसलमान जो महज़ शानों से नीचे तक बाल रख लेते हैं और अपने बालों को औरतों के बालों से मुशाबह नहीं होने देते बल्कि किसी न किसी तरह फ़र्क व इम्तियाज कर लेते हैं वह मोजिबे लानत नहीं
अक्सर व बेशतर यह देखा गया है कि जो मुसलमान शानों से नीचे तक बाल रख लेते हैं नमाज़ रोज़े के पाबन्द होते हैं ऐसे लोगों पर लानत भेजने से नबीए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मना फ़रमाया है चुनांचे
इमाम तिरमिजी हज़रत समरह बिन जुन्दुब रजी अल्लाहु तआला अन्हु से रावी हैं ,( तर्जुमा )
"मुसमलानो ! आपस में एक दूसरे पर अल्लाह तआला की लानत अल्लाह तआला के ग़ज़ब और जहन्नुम के जरिये लान तान मत करो "अगर किसी मुसलमान पर लानत की जाए और वह मुस्तहके लानत न हो तो उलटी वह लानत लानत करने वाले पर लौटती है
हदीस पाक में है ,
"मन लानः शैअन लै स बिअह लि रज अ तल लान"
(अलैहि रवाहा तिरमिजी व अबू दाऊद)
शानों से नीचे तक बाल रखना हराम नहीं है जैसा कि जवाब न.1 और नं .2 से साबित हुआ अलबत्ता अफजल व महबूब और खुदा के हबीब नबीए अकरम सलल्हा अलैहि वसल्लम की सुन्नत यह है कि मर्द के बाल बरदोश या बरगोश हों
जैसा कि बुख़ारी शरीफ़ में हज़रत अनस बिन मालिक रजी अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है अगर शानों से नीचे तक बाल रखने को मुतलक़न हराम व मोजिबे लानत क़रार दिया जाए तो मजकूरा सहाबए किराम और औलियाए एज़ाम को हराम का मुरतकब गरदान्ना लाजिम आयेगा जो खुद हराम व मोजिबेलानत है अल्लाह तआला सहाबए किराम और औलियाएज़ाम से राजी है और वह अल्लाह तआला से राजी हैं
नबीए करीम सल्ललहु अलैहि वसल्लम ने सहाबए किराम पर लान व तान करने से मना फ़रमाया है
"क़ाला ला तसुब्बू असहाबी'०"
(मेरे असहाब को गाली मत देना)
वल्लाहु तआला आलमु बिस्सवाब
अलफ़क़ीर इला रब्बिहिल जलीलिल क़वीयि
मुहम्मद इस्राफ़ील हबीबी गुफ़िरलहु
ख़ादिम दारूल इफ्ता
जामिया अरबिया मदारूल उलूम मदीनतुल औलिया
मकनपुर शरीफ , कानपुर