रहमते कौनैन का जिसको घराना चाहिये
उसको कुत्बे दो जहाँ के दर पे आना चाहिये
आपकी तौसीफ़ लिखने के लिये कुत्बुल मदार
क़ाविशे अहले क़लम को एक ज़माना चाहिये
madaarimedia.com
औलियाऐ हक़ यह कहते हैं कि हर एक सिलसिला
निस्बते कुत्बे दो आलम से सजाना चाहिये
इस दयारे पाक में है हर तरफ़ नूरे वफा
हर कुदूरत को यहाँ दिल से मिटाना चाहिये
आऐ जब कुत्बे दो आलम दी मुनादी ने निदा
साकिनाने हिन्द तुमको मुस्कुराना चाहिये
एक इशारे में बदल देते हैं तक़दीरें मदार
सोज़ तुझको भी मुक़द्दर आज़माना चाहिये
उसको कुत्बे दो जहाँ के दर पे आना चाहिये
आपकी तौसीफ़ लिखने के लिये कुत्बुल मदार
क़ाविशे अहले क़लम को एक ज़माना चाहिये
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औलियाऐ हक़ यह कहते हैं कि हर एक सिलसिला
निस्बते कुत्बे दो आलम से सजाना चाहिये
इस दयारे पाक में है हर तरफ़ नूरे वफा
हर कुदूरत को यहाँ दिल से मिटाना चाहिये
आऐ जब कुत्बे दो आलम दी मुनादी ने निदा
साकिनाने हिन्द तुमको मुस्कुराना चाहिये
एक इशारे में बदल देते हैं तक़दीरें मदार
सोज़ तुझको भी मुक़द्दर आज़माना चाहिये
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