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अली अली अली अली अली अली अली अली अली अली

 अली अली अली अली अली अली अली अली अली अली

अली अली अली अली अली अली अली अली अली अली


तुम्हारे नाम ही से अय शहा है हर बला टली अली अली अली

अली अली अली अली अली अली अली अली अली अली


रगों में खूने हाश्मी अली अली अली अली निराली शान आपकी अली अली

है ये तो शाने हैदरी अली अली है ताज दारे हर वली अली अली


अली अली अली अली


खुदा के शेर हैं अली बड़े दिलेर हैं अली कभी किसी भी शख्स से हुये न जेर हैं अली

हर एक कांपने लगा नेआम से निकल पड़ी जो जुल्फुकारे हैदरी अली अली


अली अली अली अली


रसूले पाक शहरे इल्म और आप बाब हैं उलूमे मारफत के आप ही तो आफताब है

अन्धेरे जिस से छूट गये वह आप माहताब हैं मिली है जिससे रोशनी अली अली


अली अली अली अली


खुदा ही बस है जानता तुम्हारा जो है मरतबा नबी के नूरे ऐन हो हो ताजदारे औलिया

हो तुम ही शाहे इन्सों जां हो तुम सभी के मुक्तदा हर एक बशर हैमुक्तदी अली अली


अली अली अली अली


शऊर ही से काम लें जो पाये नाज थाम लें जो सर पे आयें आफर्ते न क्यों तुम्हारा नाम लें

तुम्हारा नाम ले लिया जो ऐ हबीबे मुस्तफा तो हर बला है टल गयी अली अली


अली अली अली अली


चलीं हैं गम की आन्धयां कहां मिले इसे अमां बना अदू है दो जहां अय गम गुसारे बेकसां

करम की इस पे हो नजर तुम्हारे दर का अदना इक गुलाम है शजर अली अली अली


अली अली अली अली

चेहरे से फूटते हुये अनवार भाई जी

 चेहरे से फूटते हुये अनवार भाई जी

कहते है तुम हो वारिसे सरकार भाई जी


किरदारे अली उसमें नजर आने लगा जब

देखा है हमने आपका किरदार भाई जी


ये दिल की तमन्ना है मेरे ख्वाब में आकर

चेहरा ही दिखा दे मुझे एक बार भाई जी


कुछ खौफ न था मौत का चेहरे पे आप के

मिलने को अपने रब से थे तैयार भाई जी


अब इनको नकीरैन गिरफतार क्या करें

है इश्क में आका के गिरफतार भाई जी


क्यों हश्र की गर्मी से मुरीद आपके डरें

जब आप दो जहां में हैं गमख्वार भाई जी


सूए शजर भी एक निगाहे करम हुजूर

ये आपसे रखता है बहुत प्यार भाई जी

चम चम चमके तेरा रौजा सैय्यद अली

 चम चम चमके तेरा रौजा सैय्यद अली

नूर है तेरे उर्स में बिखरा सैय्यद अली


मौला अली की आँख का तारा सैय्यद अली

है हसनैन के दिल के टुकड़ा सैय्यद अली


कहता है हर एक बशर तेरे सदके

बंटता है हसनैन का सदका सैय्यद अली


हक है यही बंगाल की धरती पर फैला

दीने नबी का तुमसे उजाला सैय्यद अली


मेरी माने आपके दर पर आ जाये

देखना हो जिसको भी तैबा सैय्यद अली


अहले नजर हैं देखते तेरे गुम्बद से

अक्से जमाले गुम्बदे खजरा सैय्यद अली


आपके सदके में बंगाल की धरती पर

बजता है इस्लाम का डंका सैय्यद अली


तेरे आका कुत्बे जहां का रौजा भी

लगता है जैसे हो काबा सैय्यद अली

कुत्बे जहां के सदके सरकार कुत्बे गौरी

 कुत्बे जहां के सदके सरकार कुत्बे गौरी

चश्मे करम उठा दो इक बार कुत्बे गौरी


इश्के मदार से है सरशार कुत्वे गौरी

दिल में बसा है मुर्शिद का प्यार कुत्बे गौरी


मैं आस्तां पे जौके दीदार ले के आया

बहकायेंगे हमें क्या अगयार कुत्बे गौरी


तुमने ही आके जामे इश्के नबी पिलाया

प्यासा रहा है सदियों कोलार कुत्बे गौरी


हिन्दोस्तां की धरती पर आपके ही सदके

इस्लाम के हैं बिखरे अन्वार कुत्बे गौरी


तबलीगे दीं की खातिर घूमा तेरा जनाज़ा

कदमों में हो न क्यों कर सन्सार कुत्बे गौरी


बेदाम मिल रही है इश्के नबी की दौलत

कितना हसीं है तेरा बाजार कुत्बे गौरी


मैं आस्तां पे जौके दीदार ले के आया

हो जाये ख्वाब में ही दीदार कुत्बे गौरी


हर शख्स अय शजर है दामन यहां पसारे

मजबूर है यह दुनिया मुख्तार कुत्बे गौरी

उठी निगाहे करम जब तेरी गरीब नवाज

 उठी निगाहे करम जब तेरी गरीब नवाज

झुकी हर एक नजर गैज़ की गरीब नवाज


तुम्हारे दादा है मौला अली गरीब नवाज

सखी हो और हो इब्ने सखी गरीब नवाज


तेरी महक ने ही महकाया हिन्द का गुलशन

चिटख के कहने लगी हर कली गरीब नवाज


हमें तो लगती है जन्नत की हो गली जैसे

तुम्हारे शहर की हर एक गली गरीब नवाज़


हजारों जान निछावर हों तेरे कदमों पर

तेरी रगों में है खूने अली गरीब नवाज


मदार पाक की अजमेर में निशानी है

मदार चिल्ला सड़क टीकरी गरीब नवाज


शजर ने पायी है खालिस मदारिया निस्बत

न क्यों हो इसको अकीदत तेरी गरीब नवाज

तेरा रुतबा सिवा है गौसे आज़म

 तेरा रुतबा सिवा है गौसे आज़म

तू महबूबे खुदा है गौसे आजम


कभी शैतां न होगा इसमें दाखिल

मेरे दिल पर लिखा है गौसे आज़म


खुदा का मुददआ मेरे नबी हैं

नबी का मुददआ है गौसे आज़म


विलायत चूमती है तेरे तलवे

तेरा वो मरतबा है गौसे आजम


यकायक आगये बगदादी आका

मदद को जब कहा है गौसे आजम


तमाजत का शजर को क्यों हो खतरा

तेरी सर पे रिदा है गौसे आजम

सारे वलियों के अय ताजदार अल मदद अल मदद या मदार

 सारे वलियों के अय ताजदार अल मदद अल मदद या मदार

तुम हो महबूबे परवरदिगार अल मदद अल मदद या मदार


हम परेशान हैं और मेहमान है आप तो सारे आलम के सुल्तान हैं

गैर मुम्किन तलब गैर से हम करें आप मरकद में खुद जलवा सामान हैं

आप ही हम सभी के निगेहबान हैं आप दीने मुहम्मद की पहचान हैं

मांगते हैं वसीले जो आपके बस वही लोग सच्चे मुसलमान हैं

आप हर इक के हैं गम गुसार अल मदद अल मदद या मदार


अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

हम को दरबारे कुत्बुल वरा मिल गया यानी जन्नत का लोगों पता मिल गया

हम को दरबारे कुत्बुल वरा क्या मिला हक के महबूब का सिलसिला मिल गया

आप से ही नबी का पता मिल गया जब नबी मिल गये तो खुदा मिल गया

हमको असहाब की भी मोहब्बत मिली और हसनैन का वास्ता मिल गया

बीबी जहरा के दिल के करार अल मदद अल मदद या मदार


अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

बे सहारा हूं मैं आसरा कौन है मेरे दर्दे जिगर की दवा कौन है

मैं हूं बीमारे गम और शिफा कौन है कुत्वे दी एक तुम्हारे सिवा कौन है

तुमने मुर्दों को भी जिन्दगी बख्श दी गम के मारों को तुमने खुशी बख्श दी

तीरगी दिल पे जब भी है छाने लगी तुमने कुत्वे जहां रोशनी बख्श दी

सुन लो मेरे भी दिल की पुकार अल मदद अल मदद या मदार


अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

अल अजल या मदारल्वरा अल अजल अल वहा या मदारददोना अल वहा

नूरे ईमान और दीने हक की ज़िया हमको जो कुछ मिला आप ही से मिला

इन्नका मुअतियुन व अना साएलुन इन्नका मोहसिनुन व अना आसियुन

आप तो हैं सखी और इब्ने सखी आप दाता हैं और हम भिकारी सभी

हम पे चश्मे करम एक बार अल मदद अल मदद या मदार


मस्दरे सिलसिला हैं रसूले खुदा किसकी जुरअत मिटाये जो यह सिलसिला

हिन्द में आप से दीं का गुलशन खिला सबको ईमान तो आप ही से मिला

देखना मुन्किरों वह भी दिन आयेगा सिलसिला इनका आलम में छा जायेगा

सच को मानेंगे सब झूट मिट जायेगा अय मुनाफिक तू उस रोज पछतायेगा

तब कहेगा यही बार बार अल मदद अल मदद या मदार


अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

मुझ को दौलत न माल और न जर चाहिये फक्र के वास्ते तेरा दर चाहिये

कुत्बे दी एक करम की नजर चाहिये मुझको रंजो अलम से मफ चाहिये

जिसको कुत्बे जहां तेरा दर मिल गया उसको रंजो अलम से मफर मिल गया

जिस पे कोई खिजां का असर ही न हो उसको तकदीर से वह शजर मिल गया

मुझ शजर का है तुमपे मदार अल मदद अल मदद या मदार

अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं

 कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं

जुज तेरे आका मेरा कोई मदद गार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


यह जमाना है अजब अय शहेन्शाहे हलब

जब तलक है मतलब तब तलक मिलते हैं सब

बे गरज कोई भी देता है यहां प्यार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


कौन है अपना भला कुत्वे दीं तेरे सिवा

किसको आवाज मैं दूं किसको आका दूं सदा

बहरे इम्दाद कोई आता ही सरकार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


उनके मंगतों के लिये रब ने दर खोल दिये

उनके आँसू जो बहे तो गोहर खोल दिये

क्या गदा तेरा गदाए शहे अबरार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


ठोकरें खायी बहुत तेरे दरबार में हूं

दिल लिये आया शहा तेरे बाजार में हूं

कोई इस टूटे हुये दिल का खरीदार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


मेरे चेहरे पे जमीं गुम की क्या गर्द नहीं

कोई सुख दुख का नहीं कोई हमदर्द नहीं

क्या मेरे अपने ही मेरे लिये अग्यार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


एक दिन आयेगा जब बेनिशां हम होंगे

खाके पा गर हैं तेरी कहकशा हम होंगे

हम शजर वाकई शोहरत के तलबगार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं

आया हूं सरकार सात समन्दर पार

 आया हूं सरकार सात समन्दर पार

छोड़ के सब घर बार सात समन्दर पार


नूरी नूरी घर आंगन और नूरी बामो दर

देखने पहुँचे हैं आका सब आपके रोजे पर

लेकिन इक नादार सात समन्दर पार


दुनिया की सारी नदियां जिस पर करती है नाज

उस ईसन की पाक जमीं को देती हैं आवाज

अश्कों की बौछार सात समन्दर पार


तेरी शानो शौकत तेरा जलवा देखा है

हमने तेरे नाम का चलते सिक्का देखा है

अय मेरे सरकार सात समन्दर पार


अय आका अय वलियों के सरदार बना डालो

तुम चाहो मुझ कतरे को सरकार बना डालो

एक बहरे जख्खार सात समन्दर पार


मेरी खुशी और मेरे हर गम देखते रहते हैं

मेरा शजर ईमान है हर दम देखते रहते हैं

जिन्दा शाह मदार सात समन्दर पार

औलिया के इमाम का क्या कहना

 औलिया के इमाम का क्या कहना

अय मदारुल मुहाम क्या कहना


आप ही की है जात पर कायम

है दो जहां का निजाम क्या कहना


तुम जहां हो वहां बरसती हैं

रहमतें सुब्हो शाम क्या कहना


हिन्द में आके तुम ने छलकाया

इश्के अहमद का जाम क्या कहना


आपने औलिया में पाया है

सब से आला मकाम क्या कहना


बारगाहे नबी में है मकबूल

तेरे दर का गुलाम क्या कहना


सारी दुनिया को दे दिया तुमने

दीने हक का पयाम क्या कहना


बस गुलामाने कुत्वे आलम में

हो शजर का भी नाम क्या कहना

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