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मुझको अम्बर न खजीना न दफीना दे दे

 मुझको अम्बर न खजीना न दफीना दे दे

मेरे रब खुशबूए गुलज़ारे मदीना दे दे


मेरी नस्लों को महकने के लिये अय मालिक

एक कतरा मेरे आका का पसीना दे दे


पार होना है गुनाहों के समन्दर से मुझे

पन्जतन पाक का अल्लाह सफीना दे दे


जिसमें सौदा हो तेरे इश्क का वो सर दे दे

जिसमें तस्वीर हो ख़ज़्री की वो सीना दे दे


आने वाले हैं वो वश्शम्स की तफ्सीर है जो

दीद का कब्र में अल्लाह करीना दे दे


सुर्खरु हो के पहोंचना है बरोजे महशर

मुँह पे मलने के लिये खाके मदीना दे दे


अय खुदा इल्म अली को जो दिया था तूने

बस शजर को भी वही सीना ब सीना दे दे
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