कोई नहीं अपना है हमदम रहमते आलम रहमते आलम

 कोई नहीं अपना है हमदम रहमते आलम रहमते आलम

लब पे यही रहता है हरदम रहमते आलम रहमते आलम


चैन आ जाएगा बिसमिल को जुल्मत दूर करो इस दिल को

नूर से भर दो नूरे मुजस्म रहमते आलम रहमते आलम


बागे नबुव्वत की कलियों में मेरे आका सब नबियों में

आप मोअख्खर आप मुकददम रहमते आलम रहमते आलम


लेके सहीफा साथ है आई आपकी जिस दम जात है आई

कुफ्र हुआ उस रोज है बेदम रहमते आलम रहमते आलम


हमको जन्नत दिलवाएगा रोजे महशर काम आएगा

आपका दामन आपका परचम रहमते आलम रहमते आलम


खजरा का दीदार करा दो शहरे मदीना हमको दिखा दो

दिल है पशेमा आँख है पुरनम रहमते आलम रहमते आलम
__

Tagged:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *