ज़मीं मदारी है यह आसमाँ मदारी है मदार सब के हैं सारा जहाँ मदारी है लगी हुई है जो एक भीड़ गर्दे पेशे मज़ार यह सारी बिखरी हुई कहकशाँ मदारी है madaarimedia.com है लफ्ज़ लफ्ज़ में इनके जमाल की खुशबू...
कसीदा शरीफ हज़रत अब्दुर्रज़्ज़ाक क़ादरी बांसवी अलैर्हिरहमा.. बांसा शरीफ, बारहबंकी, यूपी (1048 ही.-1136 ही.) शहज़ादा-ऐ-गौसे आज़म ने 1120 ही.में दरबारे मदारुल आलमीन मे ये कसीदा पेश किया ।। ऐ जिगर गौशे मुहम्मद...
شمع ہیں بزم کی ہم ہم سے ہیں یہ اجالےہم ہیں مدار والے ہم ہیں مدار والےتاریکی جہاں پھر کیسے نہ منہ چھپا لےہم ہیں مدار والے ہم ہیں مدار والے نانا نبی ہمارے دادا علی ہمارےحسنین و فاطمہ کے ہم ہیں جگر کے پا...
हर एक है शैदायी हर एक है दीवाना सरकार का ऐसा है अन्दाज करीमाना मैंखार हैं छलकाते मै इश्के रिसालत की है रश्के मै कौसर सरकार का मैखाना बेकार है आकाई मेरे लिये ऐ आका हस्त...

