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 कुत्बे जहां के सदके सरकार कुत्बे गौरी चश्मे करम उठा दो इक बार कुत्बे गौरी इश्के मदार से है सरशार कुत्वे गौरी दिल में बसा है मुर्शिद का प्यार कुत्बे गौरी मैं आस्तां पे जौके दीदार ले के आया बहकाये...