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कुत्बे जहां के सदके सरकार कुत्बे गौरी

 कुत्बे जहां के सदके सरकार कुत्बे गौरी

चश्मे करम उठा दो इक बार कुत्बे गौरी


इश्के मदार से है सरशार कुत्वे गौरी

दिल में बसा है मुर्शिद का प्यार कुत्बे गौरी


मैं आस्तां पे जौके दीदार ले के आया

बहकायेंगे हमें क्या अगयार कुत्बे गौरी


तुमने ही आके जामे इश्के नबी पिलाया

प्यासा रहा है सदियों कोलार कुत्बे गौरी


हिन्दोस्तां की धरती पर आपके ही सदके

इस्लाम के हैं बिखरे अन्वार कुत्बे गौरी


तबलीगे दीं की खातिर घूमा तेरा जनाज़ा

कदमों में हो न क्यों कर सन्सार कुत्बे गौरी


बेदाम मिल रही है इश्के नबी की दौलत

कितना हसीं है तेरा बाजार कुत्बे गौरी


मैं आस्तां पे जौके दीदार ले के आया

हो जाये ख्वाब में ही दीदार कुत्बे गौरी


हर शख्स अय शजर है दामन यहां पसारे

मजबूर है यह दुनिया मुख्तार कुत्बे गौरी

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