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जैनब ने दुखड़ा जो सुनाया है हाय यज़दी लश्कर आया

 जैनब ने दुखड़ा जो सुनाया है हाय यज़दी लश्कर आया

दिल है सकीना का थर्राया हाय यज़दी लश्कर आया


शर्म से सूरज भी छुपता है सर से छिनी जैनब की रिदा है

बालों से चेहरा है छुपाया हाय यज़दी लश्कर आया


तुझको सुकूँ मिल पाया न पल भर हाय सकीना बादे अकबर

जैसे उठा बाबा का साया हाय यज़दी लश्कर आया


बालियाँ छीनी छीनी रिदायें टूट पड़ी यह कैसी बलाऐं

ख़ैमों को आकर है जलाया हाय यज़दी लश्कर आया


प्यास से बेकल वाली सकीना किसका रस्ता देख रही हो

पानी लेकर कोई ना आया हाय यज़दी लश्कर आया


आबिदे मुज़तर की गर्दन को शिम्र की नजरें घूर रही हैं

खतरे में है ज़हरा का जाया हाय यज़दी लश्कर आया


आया कहां लेकर है मुकद्दर किसको पुकारे आले पयम्बर

तंग है धरती देस पराया हाय यज़दी लश्कर आया


असगर अकबर ऑनो मोहम्मद कासिम और अब्बास दिलावर

शह ने शजर दरबार लुटाया हाय यज़दी लश्कर आया

है दर्द के मारे दरिया के किनारे

 है दर्द के मारे दरिया के किनारे

जहरा के दुलारे दरिया के किनारे


अब्बास ही बस थे जैनब का सहारा

अब किसको पुकारे दरिया के किनारे


आकाश है सहमा धरती भी है लरज़ाँ

सूने हैं नजारे दरिया के किनारे


हैं बारिसे से कौसर और मालिक के जमजम

प्यासे हैं वह सारे दरिया के किनारे


बोली यह सकीना बाबा मुझे छोड़ा

अब किसके सहारे दरिया के किनारे


ये औन मोहम्मद गिरते हैं फरस से

या दीँ के मिनार दरिया के किनारे


आ जाओ फरिश्तों सब कर लो तिलावत

कुरआँ के हैं पारे दरिया के किनारे


तिशना अली ज़ादे और धूप की शिद्दत

भड़के हैं शरारे दरिया के किनारे


यह रब का करम है कर्बला में शजर ने

कुछ दिन हैं गुजारे दरिया के किनारे

कर्बो बला का देखिए मन्जर लहू लहू

 कर्बो बला का देखिए मन्जर लहू लहू

अकबर लहू लहू कहीं असगर लहू लहू


हो जाता दीने हक का मुक़ददर लहू लहू

होते न अगर सिब्ते पयम्बर लहू लहू


भर कर के रंग दीने रिसालत मुआब में

हैं गुलशने अली के गुले तर लहू लहू


गिरते हुए सम्भाली जो नाशे शहे हुसैन

जिब्रील के भी हो गए शहपर लहू लहू


बहता है खूने वारिस कौसर लबे फुरात

होती है चश्मे साक्रिये कौसर लहू लहू

तस्वीर शहे दीं है जौ बार ताजिये में

 तस्वीर शहे दीं है जौ बार ताजिये में

शब्बीर के बिखरे हैं अनवार ताजिये में


ख्वाजा से कोई पूछे वारिस से कोई जाने

शब्बीर का होता है दीदार ताजिये में


अब्बास के बाजू हैं अकबर का भी लाशा है

देखे तो कोई दिल से इक बार ताजिये में


शब्बीर की कुर्बानी यह याद दिलाता है

आका का झलकता है ईसार ताजिये में


हां इस लिए जाते हैं हम उसकी जियारत को

खुलते हैं शहादत के असरार ताजिये में


शब्बीर के सदके में अल्लाह शिफा देगा

जा जाकर लग जा ऐ बीमार ताजिये में

याद आ गये हैं हैदरे कर्रार या हुसैन

 याद आ गये हैं हैदरे कर्रार या हुसैन

जिस दम उठायी आप ने तलवार या हुसैन


दुनिया में बस उसी का है मेयार या हुसैन

उल्फ्त में जो है आपकी सरशार या हुसैन


दुश्मन हुए हैं बर सरे पैकार या हुसैन

चश्मे करम है आपकी दरकार या हुसैन


अहले निगाह कहते हैं आलम में हर तरफ

बिखरे हुए हैं आपके अनवार या हुसैन


जिस पर वफा को नाज रहेगा अबद तलक

इतने अजीम हैं तेरे अन्सार या हुसैन


हर फर्द की जबान पे होगा तुम्हारा नाम

इक दिन पुकारेंगे दरो दीवार या हुसैन


अल्लाह ने किया तुम्हें बे मिस्लो बे मिसाल

जन्नत के नौजवानों के सरदार या हुसैन


यह भी करम है आपका माँ की है ये दुआ

देखा शजर ने है तेरा दरबार या हुसैन

हबीबे शाफए महशर का नाम है शब्बीर

 हबीबे शाफए महशर का नाम है शब्बीर

फिदाये साहिबे कौसर का नाम है शब्बीर


रजा ए खालिक अकबर का नाम है शब्बीर

वकारे दीन पयम्बर का नाम है शब्बीर


शुजाए फातहे खैबर का नाम है शब्बीर

सवारे दोशे पयम्बर का नाम है शब्बी


जो पूछा हमसे नकीरैन ने तो हम बोले

हमारे आका का सरवर का नाम है शब्बीर


सिराते हक से भटकने का हम को खौफ नहीं

हमारी राहों के रहबर का नाम है शब्बीर


उन्ही ने दीन बचाया है जान को दे कर

कतीले दीने पयम्बर का नाम है शब्बीर


दिलो निगाह में जिसकी थी अजमते काबा

शजर एक ऐसे दिलावर का नाम है शब्बीर

याद आयी करबला हम को तो हम रोने लगे

 याद आयी करबला हम को तो हम रोने लगे

एक हम क्या हूरो गिलमाने इरम रोने लगे


बाजुए अब्बास अकबर का गला आका का सर

लिखते लिखते खून का किस्सा कलम रोने लगे


फर्ते गम से जब अली अकबर को रोना आ गया

ऐसा लगता था नबी ए मोहतरम रोने लगे


जब सुनायी हमने उनको दास्ताने करबला

क्या है जिक्र इन्सां का पत्थर के सनम रोने लगे


पढ़के ख़त में हज़रते सुगरा की बीमारी का हाल

बादशाहे करबला बा चश्मे नम रोने लगे


करबला में सब उजड़ जायेगा जहरा का चमन

जब कहा जिब्रील ने शाहे उमम रोने लगे


जब अली का फूल असगर प्यास से बेकल हुआ

देख कर उसको गुलिस्ताने इरम रोने लगे


मरसिया लिखने जो बैठे करबला का हम शजर

सोच कर ढाये गये जुल्मो सितम रोने लगे

या हुसैन इब्ने अली या हुसैन इब्ने अली

 तुम हो जहरा के जिगर पारे हो तुम नूरे नबी

या हुसैन इब्ने अली या हुसैन इब्ने अली


नूरे हक नूरे अज़ल शम्मे शबिस्ताने अरब

शाहे दी शाहे मुबीं शाहे शहीदाने अरब

हो अरब या हो अजम धूम है हर सिम्त तेरी


या हुसैन इब्ने अली या हुसैन इब्ने अली


फिर से हर सिम्त अन्धेरों की घटा छाई है

चार सू आदा की यलगार है तन्हायी है

फिर से आवाज तुझे देती है ये आल तेरी


या हुसैन इब्ने अली या हुसैन इब्ने अली


दूर हूं तुम से अगर गम नहीं करना सुगरा

अश्क बरसाना नहीं आहें न भरना सुगरा

कितना नजदीक है घर से तेरे दरबारे नबी


या हुसैन इब्ने अली या हुसैन इब्ने अली


सुन्न्ते सरवरे आलम का पता है यारो

करबला खाक नशीनों की जगह है यारो

इन्किसारी की अदा हम को इसी जा से मिली


या हुसैन इब्ने अली या हुसैन इब्ने अली


जुल्म के बाब जो करबल में हैं मफतूह हुये

आले सरकार के जब जिस्म हैं मजरूह हुये

आज बेचैन है तैबा में बहुत रूहे नबी


या हुसैन इब्ने अली या दुसैन इब्ने अली


उम्मती आयेगें पीने वो पिलाने के लिये

तब लईं तरसेंगे उस जुमरे में आने के लिये

जब सबील होगी सरे हश्र तेरी कौसर की


या हुसैन इब्ने अली या हुसैन इब्ने अली


कोई मोनिस कोई गमख्वार नहीं हो सकता

आपसा अय मेरे सरकार नहीं हो सकता

इस शजर पे भी हो सरकार नजर रहमत की


या हुसैन इब्ने अली या हुसैन इब्ने अली

वला तकूलू लेमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया

 वला तकूलू लेमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया

जो राहे हक में फिदा हो उसको कहो न तुम मुर्दा है वो जिन्दा


निसार जो दीने हक पे होगे तो होंगे हर दो जहां तुम्हारे

जो दीन पर जां निसार कर दे उसी के है खुल्द के नजारे

तुम्हारे कदमों का बोसा लेंगे यह धरती अम्बर ये चाँद तारे

तुम्ही बनोगे फलक के सूरज तुम्ही बनोगे नूर आँखों का


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


नजर में ईसारे करबला हो मोहब्बते सिब्ते मुस्तफा हो

दिलों में हो खौफ किब्रिया का खुदा के आगे यह सर झुका हो

हो अहले बैते नबी की उल्फत न क्यों वो दुनिया का मुकतदा हो

उसी की दुनिया उसी की उकबा जो दिल से मौला का है शैदा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


हुसैन ने अपना सर कटा कर है दीने इस्लाम को बचाया

वो दी का हम को सबक सिखाया कि खुल्द का रास्ता दिखाया

तुम्हारे जैसा ऐ मेरे आका जहां में है दूसरा न आया

तुम्हारे सदके में दीं का सूरज है आज भी रौशन ताबिन्दा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


लुटे यह घर कोई डर नहीं है कटे यह गर्दन खतर नहीं है

जहां में दूजा हुसैन इब्ने अली सा शेरे बबर नहीं है

यजीदियों के जो आगे खम हो हुसैन का ऐसा सर नहीं है

यह सर है वह जिसको बारहा सरवरे दो आलम ने है चूमा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


यजीदियों कुछ तो शर्म खाओ नबी की इतरत को मत सताओ

न अकबरे वे नवा को मारो न तीर हलकूम पर चलाओ

न रौंदो घोड़ों से उनकी लाशें न खेमें मज़लूम के जलाओ

दिखाओगे कैसे हश्र के दिन नबी ए अकरम को तुम चेहरा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


सवारे दोशे नबी शहा है अन्धेरों में रोशनी शहा है

परिन्दों की नगमगी शहा हैं है चाँद अली चाँदनी शहा है

है जिससे सैराब दोनों आलम वो फैज़ की इक नदी शहा है

नबी शहा से शहा नबी से नबी ए अकरम का है कहना


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


शजर है तकदीर से हुसैनी है खूं में आका का खून शामिल

भरी है सीने में उनकी उलफत है नाजे कौनैन यह मेरा दिल

सफीनए इश्क को यकीनन मिलेगा इक दिन जरूर साहिल

मुझे यकीं है शहा दिखाऐंगे नूरी वो चेहरा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया

बे घरों पर जुल्म की है इन्तिहा परदेस है

 बे घरों पर जुल्म की है इन्तिहा परदेस है

और आले मुस्तफा बे आसरा परदेस है


देस की मि‌ट्टी बहुत आले नबी से दूर है

उनका हामी कौन है परदेस में मजबूर है

जुल्म जितना भी करे जालिम इन्हें मन्जूर है

छुट पायेगा न दामन सब्र का परदेस है


हर कदम पर मुश्किलें हैं हर कदम पर इम्तिहां

यह नबी की आल को तकदीर है लायी कहां

जल गये खेमें हैं सब और लुट गया है आशियां

अब कहां जायेगी आले मुस्तफा परदेस है


प्यास की शिद्दत बढ़ी है असगरे मासूम को

तीन दिन से मिल सका पानी न इस मजलूम को

तीरों से छलनी न कर मासूम के हलकूम को

कर न जख्मी तू ये नन्हां सा गला परदेस है


हजरते असगर ने ये शह को लिखा सन्देस में

लुत्फ आता ही नहीं जीने का अब तो देस में

जब से बाबा तुम गये हो देस से परदेस में

देस अपना वाकई लगने लगा परदेस है


हैं बहत्तर सिर्फ हम फौजे अदू लाखों में है

एक दूजे से जुदा होने का डर आँखों में है

सल्तनत मुस्लिम नुमा कुफ्फार के हाथों में है

अल मदद मौला अली मुश्किल कुशा परदेस है


अय खुदा रह में तेरी घर बार को कुर्बा किया

आसियों के वास्ते बख्शिश का है सामाँ किया

उम्मते सरकार पर इतना बड़ा इहसां किया

आखरी करते हैं शह सजदा अदा परदेस है


शम्मे हक पर है किया कुर्बाँ भरे घर बार को

कर दिया शादाब तूने दीन के गुलजार को

तोड़ डाली सब्र से है जब्र की तलवार को

है हसीं शब्बीर तेरी हर अदा परदेस है


है यही इज्जत भी तेरी है यही दौलत तेरी

तेरे दिल में है मुहब्बत अहले बैते पाक की

है गमे शब्बीर ही तेरे लिये वज्हे खुशी

अय शजर दिल में इसे ले तू छुपा परदेस है

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