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तुमने लुटाया दीं पे भरा घर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर

 तुमने लुटाया दीं पे भरा घर

सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


वादा किया जो उसको निभाना जुल्म के आगे सर न झुकाना

अज़मते काबा घटने न पाये चाहे पड़े घर अपना लुटाना

ख्वाब में बोले नाना ये आकर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


हाथ के बदले में मिले पानी जो है नबी की पाक निशानी

बोले ये आका हाथ में मेरे कौसरो जमजम की है रवानी

हाय बचाया सर को कटा कर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


लौट के भाई भी नहीं आया सर से उठा है बाप का साया

तैबा में सुगरा भी न मिलेगी बहन को भी वह देख न पाया

रह गया तन्हा आबिदे मुजतर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


कहने लगी है सुगरा ये रो कर फूफी नहीं है और न असगर

बाबा गये है जानिबे करबल सारा घराना साथ में ले कर

हो गया सूना हाय मेरा घर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


बोली सकीना प्यास लगी है नहर भी बिल्कुल पास लगी है

कोई नहीं अब पानी जो लाये आप से बाबा आस लगी है

आयी है मेरी जान लबों पर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


सब्र किया है जुल्म सहे हैं हाय वो बच्चे काँप रहे हैं

जिनके फरिश्ते नाज़ उठायें खून के आँसू उनके बहे हैं

खाया किसी ने तर्स न उन पर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


देने सलामी कब्रे नबी पर पहुंचे अदब से जहरा के दिलबर

बाद में कब्रे बिन्ते नबी पर रो के यह बोले वारिसे कौसर

अब न मदीने आयेंगे मादर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


तुझ को अय सुगरा सब्र खुदा दे दर्द बढ़ा है कौन दवा दे

दिल की तमन्ना रह गयी दिल में खालिको मालिक इस का सिला दे

रूह न निकली दस्ते शहा पर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


हश्र में भी एक हश्र बपा है खल्के खुदा सब काँप रही है

हाथ में ले कर खून के कपड़े बच्चों का हक मांग रही है

फात्मा जहरा बिन्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर

बढ़ने दो गमें इश्के हुसैन और जियादा

 बढ़ने दो गमें इश्के हुसैन और जियादा

पाने दो मेरे कल्ब को चैन और जियादा


याद आयेगा जब खून शहीदाने वफा का

तब अश्क बहायेंगे ये नैन और जियादा


दिखलाये जो शब्बीर ने शमशीर के जौहर

याद आये शहे बदरो हुनैन और जियादा


पाबन्दी गमें शह पे जो मुन्किर ने लगायी

उश्शाक हैं करने लगे बैन और जियादा


दिन भर के मज़ालिम के मनाजिर थे नजर में

जैनब के लिये बढ़ गयी रैन और जियादा


कटवायेंगे शब्बीर जो सर करबो बला में

इस्लाम की बढ़ जायेगी जैन और जियादा


अय काश शजर को मिले तौफीक खुदा से

करता ही रहे जिक्रे हुसैन और ज़ियादा

गम खानए जुल्मत को हो तन्वीर मुबारक

 गम खानए जुल्मत को हो तन्वीर मुबारक

हो तुझको मेरे दिल गमे शब्बीर मुबारक


शब्बीर चले रन की तरफ सर को कटाने

हो ख्वाबे बराहीम को ताबीर मुबारक


इस कैद ने आज़ादियां बख्शी हैं जहां को

अय आबिदे बीमार हो जन्जीर मुबारक


अकबर की तरफ देखो अय अन्सारे हुसैनी

अल्लाह के नबी की है तस्वीर मुबारक


रानाइयां दुनिया की बनीं उनका मुकद्दर

शब्बीर तुम्हें खुल्द की जागीर मुबारक


कुर्बान हुये बेटे भी इस्लाम की खातिर

यह जख्म भी अय जैनबे दिलगीर मुबारक


हूर नुसरते शब्बीर को मैदान में आये

अल्लाह ने बख्शी है जो तक़दीर मुबारक


मौला ओ नबी तकते हैं जन्नत में तेरी राह

कौसर हो तुझे असगरे बेशीर मुबारक


शब्बीर पे वक्त आये तो कुर्बान करो जां

कासिम तुम्हें शब्बर की हो तहरीर मुबारक


मकतल की तरफ कहके ये शब्बीर चले हैं

अब काफिला सालारी हो हमशीर मुबारक


कुर्बानी का जज़्बा है शजर अपने भी दिल में

हो खूने अली की तुझे तासीर मुबारक

मदीने के वाली दो आलम के सरवर हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर

 मदीने के वाली दो आलम के सरवर

हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर

नहीं सब्र में कोई तेरे बराबर

हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


हो तुम शाफए रोजे महशर के दिलबर

हो तुम ही शहा वारिसे हौजे कौसर

तुम्ही नाजे जिन्नो मलक फख्रे हैदर

तुम्ही जन्नती नौजवानों के सरवर

हो तुम सब से आला हो तुम सबसे बेहतर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


लुटी पल में है उम्र भर की कमाई

कि जैनब के बच्चों ने जां है गंवायी

मगर फिर भी भाई से जैनब यह बोली

अगर होते कुछ और बेटे तो भाई

मैं कर देती उनको भी तुम पर निछावर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


यही बाइसे नूरो इरफान होंगे

यही वजहे तहफीजे कुरआन होंगे

यही जान देकर बचायेंगे दी को

रहे हक में कर्बल में कुर्बान होंगे

ये औनो मुहम्मद यह कासिम यह अकबर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


तहारत दो आलम को है सदका जिनका

है ऊँचा हर एक फर्द से दरजा जिनका

दो आलम में मशहूर है पर्दा जिनका

न देखा था सूरज ने भी चेहरा जिनका

छिनी आज उनके सरों से है चादर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


सहूंगी भला कैसे दर्दे जुदायी

कहा रो के जैनब ने ऐ मेरे भाई

कहां मेरी तकदीर है मुझको लायी

कयामत से पहले कयामत है आयी

ये है कौनसा इम्तिहां ऐ बिरादर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


थी आँखों में बिन्ते पयम्बर की मरकद

दमे आखरी सामने रब का जलवा

तसव्वुर में था तेरे नाना का रौजा

था दिल में मदीने की गलियों का नक्शा

बसा था निगाहों में तैबा का मनजर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


जमाने को दर्स वफा दे दिया है

पयामे रसूले खुदा दे दिया है

सलीका न था बनदगी का किसी को

सलीका इबादत का सिखला दिया है

शहा तुम ने सजदे में सर को कटा कर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


चरागे शहे दीं बुझाने चले थे

घराना नबी का मिटाने चले थे

वो खुद मिट गये मिट न पाया तेरा घर

मिटाने तुझे जो घराने चले थे

शजर अब भी बाकी है आले पयम्बर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर

अय अली के जानशीं जहरा के जानी या हुसैन

 अय अली के जानशीं जहरा के जानी या हुसैन

जान दी पायी हयाते जावेदानी या हुसैन


कोई आलम में नहीं है तेरा सानी या हुसैन

और जन्नत में है तेरी हुकमरानी या हुसैन


है रसूले पाक की प्यारी निशानी या हुसैन

आप का बचपन बुढ़ापा और जवानी या हुसैन


तलखिये माहौल हाथों पर है अस्गर तशना लब

और आदा से तेरी शीरी बयानी या हुसैन


देखता सैलाब हूं तो मुझको आता है ख्याल

है तुम्हारी जुस्तुजू में अब भी पानी या हुसैन


कर रही है वक्ते रुखसत दीं की नुसरत की बयां

बा खुदा चेहरे की तेरी शादमानी या हुसैन


देख कर प्यासा तेरे घर बार को नहरे फुरात

क्यों न हो जाये हया से पानी पानी या हुसैन


सब्रे अय्यूबी न क्यूं नाजां शजर हो देख कर

तेरा कांधा और अकबर की जवानी या हुसैन

اے کرب و بلا تو آنکھیں بچھا آئے ہیں نبی کے گھر والے

 اے کرب و بلا تو آنکھیں بچھا آئے ہیں نبی کے گھر والے

چمکا تیری قسمت کا تارا آئے ہیں نبی کے گھر والے بے


دین کو دکھلانے نیچا آئے ہیں نبی کے گھر والے

اسلام کا سر کرنے اونچا آئے ہیں نبی کے گھر والے


گھربار لٹا دیں گے اپنا سر حق پہ کٹا دیں گے اپنا

سینے میں لیے بس یہ جذبہ آئے ہیں نبی کے گھر والے


کربل میں دھوپ ہے شدت کی مرجھانا سکے گلہائے نبی

تو آج کہاں ہے کالی گھٹا آئے ہیں نبی کے گھر والے


اس دل کو چین ملے کیسے پیاسوں کی پیاس بجھے کیسے

حسرت سے یہ کہتا تھا دریا آئے ہیں نبی کے گھر والے


ہر سمت ہے شہرت زور و جفا پھر بھی نہیں ہونٹوں پر شکوہ

سمجھانے یہی مفہوم وفا آئے ہیں نبی کے گھر والے

—-

غم زندگی اٹھانا شہ کربلا سے پوچھو

 غم زندگی اٹھانا شہ کربلا سے پوچھو

وہ ستم پہ مسکرانا شہ کربلا سے پوچھو


وہی بچپنے میں وعدہ جو کیا رسول نے تھا

وہ بتائے کیا زمانہ شہ کربلا سے پوچھو


ہ یزید کی جفا تھی کہ یہ مرضئِ خدا تھی

چھٹا کیسے آب و دانہ شہ کربلا سے پوچھو


بخدا ہے کتنی مشکل یہ عبادتوں کی منز

تہ تیغ سر جھکانا شاہ کربلا سے پوچھو


کبھی ظلم سر اٹھائے کبھی برچھیوں کے سائے

وہ سجود والہانہ شہ کربلا سے پوچھو


شب غم کی وہ سیاہی وہ حرم کی بے ردائی

وہ لٹا لٹا گھرانہ شہ کربلا سے پوچھو


کہاں اتنی مجھ میں ہمت جو بیاں کروں میں شہرت

غم دل کا یہ فسانہ شہ کربلا سے پوچھو
—-

آل پیغمبر کی وہ تشنہ دہانی یاد ہے

 آل پیغمبر کی وہ تشنہ دہانی یاد ہے

کربلا کیا تجھ کو پیاسوں کی کہانی ہے


موجیں لہرا کر اٹھیں اور سر پٹک کر رہ گئیں

تیری مجبوری بھی اے دریا کے پانی یاد ہے


کیوں نہ پھر کہتا ہوا لبیک حر آئے نکل

اس کو وہ آل نبی کی مہربانی یاد ہے


زندگی بھر پیار سے بھائی کو آقا ہی کہا

حضرت عباس کی وہ رتبہ دانی یاد ہے


ہائے وہ پرنور سینہ اور برچھی کی انی

اب بھی دل والوں کو اکبر کی جوانی یاد ہے


بھول بیٹھی ساری دنیا تیرا افسانہ یزید

واقعہ شبیر کا سب کو زبانی یاد ہے


کربلا میں جو فدا شہرت ہوئی شبیر پر

ساری دنیا کو حسن کی وہ نشانی یاد ہے
—-

مظلوم کربلا مظلوم کربلا

 مظلوم کربلا مظلوم کربلا

ہر قوم کی زبان پہ ہے آج یہ صدا


ہنستے ہوئے دکھوں کا زمانہ گزار کے

اسلام اور عزیز و اقارب کو وار کے

دین نبی کو پھر سے نئی جان دے گیا


مظلوم کربلا مظلوم کربلا


اصغر کو لے کے مانگنے پانی چلے حسین

غیرت سے لب نہ کھول سکے شاہ مشرقین

سرکار کے رہ گئے رخ معصوم سے ردا


مظلوم کربلا مظلوم کربلا


رنگیں لہو سے جس کے ہیں گل لال زار کے

بتلا گیا جو معنی جہاں کو بہار کے

واقف نہ ہو تو ہم یہ بتائیں وہ کون تھا


مظلوم کربلا مظلوم کربلا


آواز حق کو روک نہ پائے ستم شعار

نوک سنا پہ کہہ کے جو تکبیر تین بار

شبیر چپ ہوئے تو زمانہ پکار اٹھا


مظلوم کربلا مظلوم کربلا


اکبر کو اپنے ہاتھوں کیا ہے سپرد خاک

اکبر کو اپنی دیکھا ہے آنکھوں سے سینہ چاک

وہ کون سا ستم ہے جو تجھ پر نہیں ہوا


مظلوم کربلا مظلوم کربلا

جلتی ہوئی ہوا سے صغرا نے یوں کہا

کہنا ادب سے جب ہو گزر سمت کربلا

کیوں آپ ہم کو بھول گئے کیا ہوئی خطا


مظلوم کربلا مظلوم کربلا

پوچھیں گے قبر میں جو نکیرین اے ادیب

بتلا یہاں ہے کس کی حمایت تجھے نصیب

بے خوف و بے ہراس کہوں گا میں برملا

مظلوم کربلا مظلوم کربلا

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المدد یا حسین ابن علی

 غم کے طوفاں میں ہے مری کشتی المدد یا حسین ابن علی اے جگر گوشۂ حبیب خدا تجربہ ہے یہ ہم غریبوں کا کہہ دیا جب تو ہر بلا ہے ٹلی المدد یا حسین ابن علی چاہتا ہو جو ہر مرض سے شفا جس کو گھیرے ہوئے ہوں رنج و بلا چومے تصویر تیرے روضے … Read more

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