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वला तकूलू लेमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया

 वला तकूलू लेमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया

जो राहे हक में फिदा हो उसको कहो न तुम मुर्दा है वो जिन्दा


निसार जो दीने हक पे होगे तो होंगे हर दो जहां तुम्हारे

जो दीन पर जां निसार कर दे उसी के है खुल्द के नजारे

तुम्हारे कदमों का बोसा लेंगे यह धरती अम्बर ये चाँद तारे

तुम्ही बनोगे फलक के सूरज तुम्ही बनोगे नूर आँखों का


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


नजर में ईसारे करबला हो मोहब्बते सिब्ते मुस्तफा हो

दिलों में हो खौफ किब्रिया का खुदा के आगे यह सर झुका हो

हो अहले बैते नबी की उल्फत न क्यों वो दुनिया का मुकतदा हो

उसी की दुनिया उसी की उकबा जो दिल से मौला का है शैदा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


हुसैन ने अपना सर कटा कर है दीने इस्लाम को बचाया

वो दी का हम को सबक सिखाया कि खुल्द का रास्ता दिखाया

तुम्हारे जैसा ऐ मेरे आका जहां में है दूसरा न आया

तुम्हारे सदके में दीं का सूरज है आज भी रौशन ताबिन्दा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


लुटे यह घर कोई डर नहीं है कटे यह गर्दन खतर नहीं है

जहां में दूजा हुसैन इब्ने अली सा शेरे बबर नहीं है

यजीदियों के जो आगे खम हो हुसैन का ऐसा सर नहीं है

यह सर है वह जिसको बारहा सरवरे दो आलम ने है चूमा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


यजीदियों कुछ तो शर्म खाओ नबी की इतरत को मत सताओ

न अकबरे वे नवा को मारो न तीर हलकूम पर चलाओ

न रौंदो घोड़ों से उनकी लाशें न खेमें मज़लूम के जलाओ

दिखाओगे कैसे हश्र के दिन नबी ए अकरम को तुम चेहरा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


सवारे दोशे नबी शहा है अन्धेरों में रोशनी शहा है

परिन्दों की नगमगी शहा हैं है चाँद अली चाँदनी शहा है

है जिससे सैराब दोनों आलम वो फैज़ की इक नदी शहा है

नबी शहा से शहा नबी से नबी ए अकरम का है कहना


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया


शजर है तकदीर से हुसैनी है खूं में आका का खून शामिल

भरी है सीने में उनकी उलफत है नाजे कौनैन यह मेरा दिल

सफीनए इश्क को यकीनन मिलेगा इक दिन जरूर साहिल

मुझे यकीं है शहा दिखाऐंगे नूरी वो चेहरा


वला तकूलू लिमई युकतलू फी सबीलिल्लाहि अमवात बल अहया

बे घरों पर जुल्म की है इन्तिहा परदेस है

 बे घरों पर जुल्म की है इन्तिहा परदेस है

और आले मुस्तफा बे आसरा परदेस है


देस की मि‌ट्टी बहुत आले नबी से दूर है

उनका हामी कौन है परदेस में मजबूर है

जुल्म जितना भी करे जालिम इन्हें मन्जूर है

छुट पायेगा न दामन सब्र का परदेस है


हर कदम पर मुश्किलें हैं हर कदम पर इम्तिहां

यह नबी की आल को तकदीर है लायी कहां

जल गये खेमें हैं सब और लुट गया है आशियां

अब कहां जायेगी आले मुस्तफा परदेस है


प्यास की शिद्दत बढ़ी है असगरे मासूम को

तीन दिन से मिल सका पानी न इस मजलूम को

तीरों से छलनी न कर मासूम के हलकूम को

कर न जख्मी तू ये नन्हां सा गला परदेस है


हजरते असगर ने ये शह को लिखा सन्देस में

लुत्फ आता ही नहीं जीने का अब तो देस में

जब से बाबा तुम गये हो देस से परदेस में

देस अपना वाकई लगने लगा परदेस है


हैं बहत्तर सिर्फ हम फौजे अदू लाखों में है

एक दूजे से जुदा होने का डर आँखों में है

सल्तनत मुस्लिम नुमा कुफ्फार के हाथों में है

अल मदद मौला अली मुश्किल कुशा परदेस है


अय खुदा रह में तेरी घर बार को कुर्बा किया

आसियों के वास्ते बख्शिश का है सामाँ किया

उम्मते सरकार पर इतना बड़ा इहसां किया

आखरी करते हैं शह सजदा अदा परदेस है


शम्मे हक पर है किया कुर्बाँ भरे घर बार को

कर दिया शादाब तूने दीन के गुलजार को

तोड़ डाली सब्र से है जब्र की तलवार को

है हसीं शब्बीर तेरी हर अदा परदेस है


है यही इज्जत भी तेरी है यही दौलत तेरी

तेरे दिल में है मुहब्बत अहले बैते पाक की

है गमे शब्बीर ही तेरे लिये वज्हे खुशी

अय शजर दिल में इसे ले तू छुपा परदेस है

तुमने लुटाया दीं पे भरा घर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर

 तुमने लुटाया दीं पे भरा घर

सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


वादा किया जो उसको निभाना जुल्म के आगे सर न झुकाना

अज़मते काबा घटने न पाये चाहे पड़े घर अपना लुटाना

ख्वाब में बोले नाना ये आकर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


हाथ के बदले में मिले पानी जो है नबी की पाक निशानी

बोले ये आका हाथ में मेरे कौसरो जमजम की है रवानी

हाय बचाया सर को कटा कर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


लौट के भाई भी नहीं आया सर से उठा है बाप का साया

तैबा में सुगरा भी न मिलेगी बहन को भी वह देख न पाया

रह गया तन्हा आबिदे मुजतर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


कहने लगी है सुगरा ये रो कर फूफी नहीं है और न असगर

बाबा गये है जानिबे करबल सारा घराना साथ में ले कर

हो गया सूना हाय मेरा घर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


बोली सकीना प्यास लगी है नहर भी बिल्कुल पास लगी है

कोई नहीं अब पानी जो लाये आप से बाबा आस लगी है

आयी है मेरी जान लबों पर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


सब्र किया है जुल्म सहे हैं हाय वो बच्चे काँप रहे हैं

जिनके फरिश्ते नाज़ उठायें खून के आँसू उनके बहे हैं

खाया किसी ने तर्स न उन पर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


देने सलामी कब्रे नबी पर पहुंचे अदब से जहरा के दिलबर

बाद में कब्रे बिन्ते नबी पर रो के यह बोले वारिसे कौसर

अब न मदीने आयेंगे मादर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


तुझ को अय सुगरा सब्र खुदा दे दर्द बढ़ा है कौन दवा दे

दिल की तमन्ना रह गयी दिल में खालिको मालिक इस का सिला दे

रूह न निकली दस्ते शहा पर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर


हश्र में भी एक हश्र बपा है खल्के खुदा सब काँप रही है

हाथ में ले कर खून के कपड़े बच्चों का हक मांग रही है

फात्मा जहरा बिन्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर सिब्ते पयम्बर

बढ़ने दो गमें इश्के हुसैन और जियादा

 बढ़ने दो गमें इश्के हुसैन और जियादा

पाने दो मेरे कल्ब को चैन और जियादा


याद आयेगा जब खून शहीदाने वफा का

तब अश्क बहायेंगे ये नैन और जियादा


दिखलाये जो शब्बीर ने शमशीर के जौहर

याद आये शहे बदरो हुनैन और जियादा


पाबन्दी गमें शह पे जो मुन्किर ने लगायी

उश्शाक हैं करने लगे बैन और जियादा


दिन भर के मज़ालिम के मनाजिर थे नजर में

जैनब के लिये बढ़ गयी रैन और जियादा


कटवायेंगे शब्बीर जो सर करबो बला में

इस्लाम की बढ़ जायेगी जैन और जियादा


अय काश शजर को मिले तौफीक खुदा से

करता ही रहे जिक्रे हुसैन और ज़ियादा

गम खानए जुल्मत को हो तन्वीर मुबारक

 गम खानए जुल्मत को हो तन्वीर मुबारक

हो तुझको मेरे दिल गमे शब्बीर मुबारक


शब्बीर चले रन की तरफ सर को कटाने

हो ख्वाबे बराहीम को ताबीर मुबारक


इस कैद ने आज़ादियां बख्शी हैं जहां को

अय आबिदे बीमार हो जन्जीर मुबारक


अकबर की तरफ देखो अय अन्सारे हुसैनी

अल्लाह के नबी की है तस्वीर मुबारक


रानाइयां दुनिया की बनीं उनका मुकद्दर

शब्बीर तुम्हें खुल्द की जागीर मुबारक


कुर्बान हुये बेटे भी इस्लाम की खातिर

यह जख्म भी अय जैनबे दिलगीर मुबारक


हूर नुसरते शब्बीर को मैदान में आये

अल्लाह ने बख्शी है जो तक़दीर मुबारक


मौला ओ नबी तकते हैं जन्नत में तेरी राह

कौसर हो तुझे असगरे बेशीर मुबारक


शब्बीर पे वक्त आये तो कुर्बान करो जां

कासिम तुम्हें शब्बर की हो तहरीर मुबारक


मकतल की तरफ कहके ये शब्बीर चले हैं

अब काफिला सालारी हो हमशीर मुबारक


कुर्बानी का जज़्बा है शजर अपने भी दिल में

हो खूने अली की तुझे तासीर मुबारक

मदीने के वाली दो आलम के सरवर हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर

 मदीने के वाली दो आलम के सरवर

हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर

नहीं सब्र में कोई तेरे बराबर

हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


हो तुम शाफए रोजे महशर के दिलबर

हो तुम ही शहा वारिसे हौजे कौसर

तुम्ही नाजे जिन्नो मलक फख्रे हैदर

तुम्ही जन्नती नौजवानों के सरवर

हो तुम सब से आला हो तुम सबसे बेहतर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


लुटी पल में है उम्र भर की कमाई

कि जैनब के बच्चों ने जां है गंवायी

मगर फिर भी भाई से जैनब यह बोली

अगर होते कुछ और बेटे तो भाई

मैं कर देती उनको भी तुम पर निछावर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


यही बाइसे नूरो इरफान होंगे

यही वजहे तहफीजे कुरआन होंगे

यही जान देकर बचायेंगे दी को

रहे हक में कर्बल में कुर्बान होंगे

ये औनो मुहम्मद यह कासिम यह अकबर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


तहारत दो आलम को है सदका जिनका

है ऊँचा हर एक फर्द से दरजा जिनका

दो आलम में मशहूर है पर्दा जिनका

न देखा था सूरज ने भी चेहरा जिनका

छिनी आज उनके सरों से है चादर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


सहूंगी भला कैसे दर्दे जुदायी

कहा रो के जैनब ने ऐ मेरे भाई

कहां मेरी तकदीर है मुझको लायी

कयामत से पहले कयामत है आयी

ये है कौनसा इम्तिहां ऐ बिरादर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


थी आँखों में बिन्ते पयम्बर की मरकद

दमे आखरी सामने रब का जलवा

तसव्वुर में था तेरे नाना का रौजा

था दिल में मदीने की गलियों का नक्शा

बसा था निगाहों में तैबा का मनजर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


जमाने को दर्स वफा दे दिया है

पयामे रसूले खुदा दे दिया है

सलीका न था बनदगी का किसी को

सलीका इबादत का सिखला दिया है

शहा तुम ने सजदे में सर को कटा कर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


चरागे शहे दीं बुझाने चले थे

घराना नबी का मिटाने चले थे

वो खुद मिट गये मिट न पाया तेरा घर

मिटाने तुझे जो घराने चले थे

शजर अब भी बाकी है आले पयम्बर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर

अली अली अली अली अली अली अली अली अली अली

 अली अली अली अली अली अली अली अली अली अली

अली अली अली अली अली अली अली अली अली अली


तुम्हारे नाम ही से अय शहा है हर बला टली अली अली अली

अली अली अली अली अली अली अली अली अली अली


रगों में खूने हाश्मी अली अली अली अली निराली शान आपकी अली अली

है ये तो शाने हैदरी अली अली है ताज दारे हर वली अली अली


अली अली अली अली


खुदा के शेर हैं अली बड़े दिलेर हैं अली कभी किसी भी शख्स से हुये न जेर हैं अली

हर एक कांपने लगा नेआम से निकल पड़ी जो जुल्फुकारे हैदरी अली अली


अली अली अली अली


रसूले पाक शहरे इल्म और आप बाब हैं उलूमे मारफत के आप ही तो आफताब है

अन्धेरे जिस से छूट गये वह आप माहताब हैं मिली है जिससे रोशनी अली अली


अली अली अली अली


खुदा ही बस है जानता तुम्हारा जो है मरतबा नबी के नूरे ऐन हो हो ताजदारे औलिया

हो तुम ही शाहे इन्सों जां हो तुम सभी के मुक्तदा हर एक बशर हैमुक्तदी अली अली


अली अली अली अली


शऊर ही से काम लें जो पाये नाज थाम लें जो सर पे आयें आफर्ते न क्यों तुम्हारा नाम लें

तुम्हारा नाम ले लिया जो ऐ हबीबे मुस्तफा तो हर बला है टल गयी अली अली


अली अली अली अली


चलीं हैं गम की आन्धयां कहां मिले इसे अमां बना अदू है दो जहां अय गम गुसारे बेकसां

करम की इस पे हो नजर तुम्हारे दर का अदना इक गुलाम है शजर अली अली अली


अली अली अली अली

चेहरे से फूटते हुये अनवार भाई जी

 चेहरे से फूटते हुये अनवार भाई जी

कहते है तुम हो वारिसे सरकार भाई जी


किरदारे अली उसमें नजर आने लगा जब

देखा है हमने आपका किरदार भाई जी


ये दिल की तमन्ना है मेरे ख्वाब में आकर

चेहरा ही दिखा दे मुझे एक बार भाई जी


कुछ खौफ न था मौत का चेहरे पे आप के

मिलने को अपने रब से थे तैयार भाई जी


अब इनको नकीरैन गिरफतार क्या करें

है इश्क में आका के गिरफतार भाई जी


क्यों हश्र की गर्मी से मुरीद आपके डरें

जब आप दो जहां में हैं गमख्वार भाई जी


सूए शजर भी एक निगाहे करम हुजूर

ये आपसे रखता है बहुत प्यार भाई जी

चम चम चमके तेरा रौजा सैय्यद अली

 चम चम चमके तेरा रौजा सैय्यद अली

नूर है तेरे उर्स में बिखरा सैय्यद अली


मौला अली की आँख का तारा सैय्यद अली

है हसनैन के दिल के टुकड़ा सैय्यद अली


कहता है हर एक बशर तेरे सदके

बंटता है हसनैन का सदका सैय्यद अली


हक है यही बंगाल की धरती पर फैला

दीने नबी का तुमसे उजाला सैय्यद अली


मेरी माने आपके दर पर आ जाये

देखना हो जिसको भी तैबा सैय्यद अली


अहले नजर हैं देखते तेरे गुम्बद से

अक्से जमाले गुम्बदे खजरा सैय्यद अली


आपके सदके में बंगाल की धरती पर

बजता है इस्लाम का डंका सैय्यद अली


तेरे आका कुत्बे जहां का रौजा भी

लगता है जैसे हो काबा सैय्यद अली

कुत्बे जहां के सदके सरकार कुत्बे गौरी

 कुत्बे जहां के सदके सरकार कुत्बे गौरी

चश्मे करम उठा दो इक बार कुत्बे गौरी


इश्के मदार से है सरशार कुत्वे गौरी

दिल में बसा है मुर्शिद का प्यार कुत्बे गौरी


मैं आस्तां पे जौके दीदार ले के आया

बहकायेंगे हमें क्या अगयार कुत्बे गौरी


तुमने ही आके जामे इश्के नबी पिलाया

प्यासा रहा है सदियों कोलार कुत्बे गौरी


हिन्दोस्तां की धरती पर आपके ही सदके

इस्लाम के हैं बिखरे अन्वार कुत्बे गौरी


तबलीगे दीं की खातिर घूमा तेरा जनाज़ा

कदमों में हो न क्यों कर सन्सार कुत्बे गौरी


बेदाम मिल रही है इश्के नबी की दौलत

कितना हसीं है तेरा बाजार कुत्बे गौरी


मैं आस्तां पे जौके दीदार ले के आया

हो जाये ख्वाब में ही दीदार कुत्बे गौरी


हर शख्स अय शजर है दामन यहां पसारे

मजबूर है यह दुनिया मुख्तार कुत्बे गौरी

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