काश उनके गुम्बदो मीनार के साए तले

 काश उनके गुम्बदो मीनार के साए तले

नात लिक्खूं रौजा ए सरकार के साए तले


इल्मे हक की रोशनी सारे जहां में छा गई

सूरए इक्रा जो आई गार के साए तले


अर्श है कुर्सी कलम है जन्नतुल फिरदौस है

गुम्बदे खिजरा तेरे मीनार के साए तले


दीं के खातिर मेरे आका के सहाबा जी गए

तीर के साए तले तलवार के साए तले


फिस्क के सूरज की गर्मी से न झुलसा दीने हक

बढ़ गया शब्बीर के ईसार के साए तले


पांव की जंजीरों की कड़ियां हमें बतलाती हैं

सिलसिले हैं आबिदे बीमार के साए तले


खिल रहे हैं आपके सदके में खुशियों के चमन

मेरे आका आपके ईसार के साए तले


ऐ शजर हस्सान का सदका तुझे भी मिल गया

खुल्द पहुंचा नातिया अशआर के साए तले
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