उठी निगाहे करम जब तेरी गरीब नवाज

 उठी निगाहे करम जब तेरी गरीब नवाज

झुकी हर एक नजर गैज़ की गरीब नवाज


तुम्हारे दादा है मौला अली गरीब नवाज

सखी हो और हो इब्ने सखी गरीब नवाज


तेरी महक ने ही महकाया हिन्द का गुलशन

चिटख के कहने लगी हर कली गरीब नवाज


हमें तो लगती है जन्नत की हो गली जैसे

तुम्हारे शहर की हर एक गली गरीब नवाज़


हजारों जान निछावर हों तेरे कदमों पर

तेरी रगों में है खूने अली गरीब नवाज


मदार पाक की अजमेर में निशानी है

मदार चिल्ला सड़क टीकरी गरीब नवाज


शजर ने पायी है खालिस मदारिया निस्बत

न क्यों हो इसको अकीदत तेरी गरीब नवाज
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