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मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए

 मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए

तो फिर जुल्मतों के कदम थरथराए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए

बड़ा खौफ था हम थे जुल्मत की जद में

अंधेरा बहुत था हमारी लहद में

वो आए तो अन्वार भी साथ लाए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए


खुदा को नहीं जानती थी ये दुनिया

बुतों को खुदा मानती थी ये दुनिया

खुदा तक पहुँचने के रस्ते दिखाए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए


था बूजेहल कोई तो कोई था उत्बा

कोई बुलहब और कोई था शैबा

उन्हीं ने हैं फारुकों उस्माँ बनाए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए


थी छाई खिजाँ दीन के गुलसिताँ पर

तराने न ये बुलबुलों की जुबाँ पर

शजर चिटखी कलियाँ ये गुल मुस्कुराए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए
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