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بن کے مداری جینا ہے بن کے مداری مرنا ہے

 

बन के मदारी जीना है बनके मदारी मरना है


बन के मदारी जीना है बनके मदारी मरना है
जीवन की पेचीदा ड़ग़र पे और हमें क्या करना है

सूऐ ज़न वलियों से रखना जंग खुदा से करना है
तेरा हर मग़रूर इरादा टूटना और बिखरना है
जैसा किया फ़ैज़ान के मुन्क़िर अब वैसा ही भरना है
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टकराना है जुल्म के तूफानो से हमारा काम
कुत्बे जहाँ के दीवाने कब सोंचते हैं अंजाम
तूफाँ तो आते रहते हैं तूफ़ाँ से क्या डरना है

लिखले मुसाफिर अपने दिल पे कुत्बे जहाँ का नाम
छुप जाऐगा आज का सूरज ढल जाऐगी शाम
इस जीवन की छाँव में तुझको थोड़ी देर ठहरना है

हिन्द की धरती हिन्द का साग़र तेरे ही गुन गाऐं
काली घटाऐ आँगन आँगन तेरा करम बरसाऐं
कहती है दरिया की रवानी बोलता सोज़ यह झरना है

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