ताजदारे रसूलाँ सलामुन अलैक

allama soz makanpuri

दोनो आलम के सुल्ताँ सलामुन अलैक
ताजदारे रसूलाँ सलामुन अलैक

आप शमसुद्दहा आप बदरुद्दजा
आप ही इब्तिदा आप ही इंतिहा
बानिये दीनो ईमाँ सलामुन अलैक

ताजदारे रसूलाँ सलामुन अलैक

मदह में तेरी क़ुरआन है सर व सर
हुस्ने यूसुफ भी कुरबाँ तेरे हुस्न पर
मिदहते हुस्ने कुरआँ सलामुन अलैक

ताजदारे रसूलाँ सलामुन अलैक

कोई चश्मे अक़ीदत से देखे ज़रा
आपका नक्शे पा सरवरे अम्बिया
है नगीने सुलैमाँ सलामुन अलैक

ताजदारे रसूलाँ सलामुन अलैक

कोई ऐसा नबी जग में आया नहीं
जिसका सानी नहीं जिसका सायानहीं
पैकरे नूरे यज़दाँ सलामुन अलैक

ताजदारे रसूलाँ सलामुन अलैक

हम फकीरों के दाता तो बस आप हैं
हम ग़रीबों के मलजा तो बस आप हैं
बे बसों के निगेहवाँ सलामुन अलैक

ताजदारे रसूलाँ सलामुन अलैक

आप ही से तो दौलत मिली प्यार की
जाग उठी सोज़ तक़दीर नादार की
पासवाने ग़रीबाँ सलामुन अलैक

ताजदारे रसूलाँ सलामुन अलैक

Tagged:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *