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شاھد حرف حرف ہے خدا کے کلام کا

 शाहिद हरफ़ हरफ़ है खुदा के कलाम का

बादे खुदा मक़ाम है खैरुल अनाम का


महबूबियत की शान तो देखो कि जिबरईल

आते हैं तोहफ़ा लेके दुरूदो सलाम का


हर सुब्ह फूटती है अज़ाने बिलाल से

यह मर्तबा है मेरे नबी के गुलाम का


अल्लाहा टूटने लगे जब रिश्तऐ हयात

मेरे लबों पे नाम हो खैरुल अनाम का


दुनियाओ आख़िरत की उसे सोज़ फिक्र क्या

दीवाना बन गया है जो खैरुल अनाम का


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