अन्नबी अन्नबी अन्नबी अन्नबी
अन्नबी मुशफिकी अन्नबी मोहसेनी
अन्नबी जुल्करम अन्नबी मोहतरम
व हुवा खैरुल उमम व खफीरुलहरम
दाइयुन हादियुन अन्नजी अस्सफी
हाशमी करशी अन्नबी
अन्नबी अन्नबी अन्नबी अन्नबी
बेकसों को फकीरों को दाता किया
आपने ही गुलामों को आका किया
आप जैसा न देखा किसी ने सखी
अन्नबी अन्नबी अन्नबी अन्नबी
वनशक्क्त समा वहुवा यौमल्जजा
यस्जुदू मुस्तफा ला यकूलू सवा
उम्मती उम्मती उम्मती उम्मती
उम्मती उम्मती उम्मती अन्नबी
अन्नबी अन्नबी अन्नबी अन्नबी
नाज़िशे दो जहाँ बाइसे कुन फकाँ
हासिले अर्श सय्यार-ए-लामकाँ
मुस्तफा मुज्तबा मक्कियो हाशमी
अन्नबी अन्नबी अन्नबी अन्नबी
जुल्म कुफ्फार मक्का के सहते रहे
अल्अहद अल्अहद फिर भी कहते रहे
और बिलाले हबश के था लब पर यही
अन्नबी अन्नबी अन्नबीअन्नबी
आप फख़्रे अरब आप आली नसब
दो जहाँ है बने आप ही के सबब
आपकी जात है जान तख्लीक की
अन्नबी अन्नबी अन्नबी अन्नबी
काना यम्शि शजर काना शुक्कल्कमर
यतहददस हजर कुल्लहा मुख्तसर
मोअजजातुन्नबी मोअज्जातुन्नबी
मोअज़्ज़ातुन्नबी अन्नबी
अन्नबी अन्नबी अन्नबी अन्नबी