अल मदीना अल मदीना अल मदीना अल मदीना

 अल मदीना अल मदीना अल मदीना अल मदीना

खुल्द का लोगों है जीना अल मदीना अल मदीना

रहमतों का है ख़ज़ीना अल मदीना अल मदीना


साकिये कौसर कहाँ है बाइसे ज़मज़म कहाँ

हैं छलकते जामे इश्के सरवरे आलम कहाँ

कह उठा हर जामों मीना अल मदीना अल मदीना


मस्दरे जूदो सखा है मम्बए फैज़ों करम

मख्ज़ने नूरे खुदा है मरकज़े नाज़े इरम

रहमतों का है खजीना अल मदीना अल मदीना


अपना नूरी दर दिखाएगें हमें मुख्तारे कुल

इस बरस देखों बुलाएगें हमें मुख्तारे कुल

आ गया हज का महीना अल मदीना अल मदीना


बस सिवाए इश्के सरकारे दो आलम कुछ न हो

और इसमें जुज़ गमे सरकार के गम कुछ न हो

काश बन जाए ये सीना अल मदीना अल मदीना


किस के जर्रे की चमक करती है फीका तेरा रंग

किस ज़मीं के तुझसे भी नायाब है ज़र्राते संग

कह उठा हर एक नगीना अल मदीना अल मदीना
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