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आका मेरे विलायत के शाहकार हो तुम

 आका मेरे विलायत के शाहकार हो तुम

बे मिस्ल औलिया में कुतुबुल मदार हो तुम


मुख्तारे कुल के प्यारे ईसा के तुम हो वारिस

मुर्दो को जिन्दगी दो बा इख्तियार हो तुम


कहता है यह चमन का हर गुल हर एक गुन्ची

जिसमें खिजां नहीं है ऐसी बहार हो तुम


शाहाना जिन्दगी को ठुकराया हिन्द आये

ठोकर में जिसकी शाही वह ताजदार हो तुम


जितने भी सिलसिले हैं हैं फैजयाब तुम से

निकली हैं जिनसे नदियां वह आबशार हो तुम


गिरते हुये संभलते हैं नाम से तुम्हारे

मुश्किल कुशा अली के आईना दार हो तुम


मोमिन के वास्ते हो तुम रहमतों के पैकर

है कुफ्र जिस से लरजां वो जुल्फिकार हो तुम


जिस को है तुम से निस्बत है रब की उस पे रहमत

मकबूले बारगाहे परवरदिगार हो तुम


कोई तुम्हारी किरनों को किस तरह छुपाये

सूरज के मिस्ल दुनियां पर आशकार हो तुम


कुतुबुल मदार तुम से यह भी है मेरा रिश्ता

मैं हूं शजर वकारी और बा वकार हो तुम
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