कर्बो बला का देखिए मन्जर लहू लहू
अकबर लहू लहू कहीं असगर लहू लहू
हो जाता दीने हक का मुक़ददर लहू लहू
होते न अगर सिब्ते पयम्बर लहू लहू
भर कर के रंग दीने रिसालत मुआब में
हैं गुलशने अली के गुले तर लहू लहू
गिरते हुए सम्भाली जो नाशे शहे हुसैन
जिब्रील के भी हो गए शहपर लहू लहू
बहता है खूने वारिस कौसर लबे फुरात
होती है चश्मे साक्रिये कौसर लहू लहू