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किसे मिली है बलन्दी ऐसी किसे मिला है कमाल ऐसा

 किसे मिली है बलन्दी ऐसी किसे मिला है कमाल ऐसा

जमाले युसुफ भी हैरती है, है मुस्तफा का जमाल ऐसा


चमक रहा है फलक पे सूरज तुम्हारे तल्वों की रोशनी से

हो जैसे नाखुन का वो तराशा है आस्माँ पर हिलाल ऐसा


कहें ये आका के आओ तैबा कहें ये जब हम बुलाओं तैबा

जवाब हो तो जवाब ऐसा सवाल हो तो सवाल ऐसा


कि जिसके होते हुए भी तैबा ना देख पाऊँ अय मेरे मालिक

ना चाहिये मुझको ऐसी सरवत ना चाहिये मुझको माल ऐसा


हमारे रुख के तिलों के खातिर तुम अपने रुख की सियाही दे दो

बरोजे महशर जिनाँ की हूरें कहेंगी तुमसे बिलाल ऐसा


मदीने के सुब्हो शाम देखूँ है ये तमन्ना मगर करूँ क्या


सफर के मफ्कूद रास्ते हैं बिछाया गर्दिश ने जाल ऐसा


खुशी दे जो कोई गम के बदले जो दे दोआएं सितम के बदले

सिवाए आका के सारी दुनियाँ में कौन है खुश खिसाल ऐसा
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