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जल्वए नूरे मोहम्मद मरकज़े अन्वार से

 जल्वए नूरे मोहम्मद मरकज़े अन्वार से

हुस्न आलम को मिला है अहमदे मुख्तार से


दिन हुआ रोशन तुम्हारे रुए पुर अन्वार से

रात ने पाई सियाही गेसुए खमदार से


कोई तेरे हुस्न की कीमत लगा सकता नहीं

ये सदाएँ आ रही है मिस के बाजार से


किस कदर भारी है इक इक पल नबी के हिज्र का

ये कसक ये दर्द पूछो इस दिले नादार से


मिल गया किस्मत से है तुमको दरे खैरुलवरा

जो भी चाहों माँग लो कोनैन के मुख्तार से


गौसो ख्वाजा हो मोईनुददर्दी हों या हों बायज़ीद

भीख पाता हर वली है आपके दरबार से


उनके कदमों तक पहुँचने की ज़रा कोशिश तो कर

अपने सीने से लगा लेगें वो बढ़कर प्यार से


मरहबा सद मरहबा अय पैकरे खुल्के अजीम

तूने दुनियाँ को बदल डाला हसीं किरदार से


आप हैं नूरे मुजस्सम आप हैं नूरे खदा

दो जहाँ रोशन हुए हैं आपके अन्वार से


तेरे किरदारो अमल पे नाज़ ये दुनियाँ करे

अय शजर है खून का रिश्ता तेरा सरकार से
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