जैनब ने दुखड़ा जो सुनाया है हाय यज़दी लश्कर आया
दिल है सकीना का थर्राया हाय यज़दी लश्कर आया
शर्म से सूरज भी छुपता है सर से छिनी जैनब की रिदा है
बालों से चेहरा है छुपाया हाय यज़दी लश्कर आया
तुझको सुकूँ मिल पाया न पल भर हाय सकीना बादे अकबर
जैसे उठा बाबा का साया हाय यज़दी लश्कर आया
बालियाँ छीनी छीनी रिदायें टूट पड़ी यह कैसी बलाऐं
ख़ैमों को आकर है जलाया हाय यज़दी लश्कर आया
प्यास से बेकल वाली सकीना किसका रस्ता देख रही हो
पानी लेकर कोई ना आया हाय यज़दी लश्कर आया
आबिदे मुज़तर की गर्दन को शिम्र की नजरें घूर रही हैं
खतरे में है ज़हरा का जाया हाय यज़दी लश्कर आया
आया कहां लेकर है मुकद्दर किसको पुकारे आले पयम्बर
तंग है धरती देस पराया हाय यज़दी लश्कर आया
असगर अकबर ऑनो मोहम्मद कासिम और अब्बास दिलावर
शह ने शजर दरबार लुटाया हाय यज़दी लश्कर आया