झूम उठे महो अख्तर आमेना के घर आया
जब खुदा का पैगम्बर आमेना के घर आया
फिक्र क्यूँ करें आसी हश्र में शफाअत की
आज शाफए महशर आमेना के घर आया
जिसके इक इशारे पर चाँद होगा दो टुकड़े
इखतियारे कुल लेकर आमेना के घर आया
खत्म क्यूँ न हो जाए गुमरही ज़माने से
कायनात का रहबर आमेना के घर आया
औलिया हो यामोमिन अमबया फरिश्ते हों
जो सभी से हेै बेहतर आमेना के घर आया
अब तलक जो पोशीदा था पनाहे वहदत में
ओढ़े नूर की चादर आमेना के घर आया
जो हबीब रब का है जो तबीब सबका है
जो है मालिके कौसर आमेना के घर आया
अय जहाँ के सुल्तानों झुक के सब सलामी दो
कायनात का सरवर आमेना के घर आया
अय शजर तशददुद का राज मिटने वाला है
रहमो अम्न का पैकर आमेना के घर आया