madaarimedia

बढ़ने दो गमें इश्के हुसैन और जियादा

 बढ़ने दो गमें इश्के हुसैन और जियादा

पाने दो मेरे कल्ब को चैन और जियादा


याद आयेगा जब खून शहीदाने वफा का

तब अश्क बहायेंगे ये नैन और जियादा


दिखलाये जो शब्बीर ने शमशीर के जौहर

याद आये शहे बदरो हुनैन और जियादा


पाबन्दी गमें शह पे जो मुन्किर ने लगायी

उश्शाक हैं करने लगे बैन और जियादा


दिन भर के मज़ालिम के मनाजिर थे नजर में

जैनब के लिये बढ़ गयी रैन और जियादा


कटवायेंगे शब्बीर जो सर करबो बला में

इस्लाम की बढ़ जायेगी जैन और जियादा


अय काश शजर को मिले तौफीक खुदा से

करता ही रहे जिक्रे हुसैन और ज़ियादा
__

Leave a Comment

Related Post

Top Categories