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वजहे शक्कुल कमर फख्रे जिन्नो बशर ऐ शहे कुन फकां तुम कहां हम कहां

 वजहे शक्कुल कमर फख्रे जिन्नो बशर ऐ शहे कुन फकां तुम कहां हम कहां

हम है मुहताज और तुम हो मुख्तारे कुल मोनिसे वे कसां तुम कहां हम कहां


तुम शफी और हम सब गुनहगार हैं तुम हो मतलूब और हम तलबगार है

तुम तो साकी हो कौसर के हम तिश्ना लब शाफए आसियां तुम कहां हम कहां


हम तो खाकी हैं तुम नूर ही नूर हो दोनों आलम में हर सिम्त मशहूर हो

आसमानी किताबों में मजकूर हो नाजिशे जाकिरां तुम कहां हम कहां


रब ने हम को यह कहके कुलू वशरबू है बनाया जमीनो जमां के लिए

और बनाए खुदा ने तुम्हारे लिए यह जमीनो जमां तुम कहां हम कहां


तुम ही तो सारे आलम के मखदूम हो हर बशर क्यूं तुम्हारा न महकूम हो

हम सरापा खता तुम तो मासूम हो फख़्रे पैगम्बरां तुम कहां हम कहां


अर्श हो फर्श हो या तहतुस सरा राज आलम का कोई न तुमसे छुपा

और हमारी है आँखों पे परदा पड़ा राज़ के राजदां तुम कहां हम कहां


हम जो चाहें मिले बे जुबां को जुबां ऐसा बल्लाह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं

तुम जो चाहो तो पल भर में मिल जाती है पत्थरों को जुबां तुम कहां हम कहाँ


मेरे सरकार तुम तो हो हय्युन्नबी और हम खाक हो जाने वाले सभी

जाने तखलीक वल्लाह मक़ख़लूक के तुम हो रूहे रवां तुम कहां हम कहां
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