सल्ले अला सल्ले अला सल्ले अला सल्ले अला
लब पर रहे जारी सदा सल्ले अला सल्ले अला
अय रब हमारी है दोआ सल्ले अला सल्ले अला
तू शाफ्ए रोजे जज़ा सल्ले अला सल्ले अला
नूरे अज़ल शम्ओ हेरा सल्ले अला सल्ले अला
मा जाग है आखें तेरी वश्शम्स है चेहरा तेरा
जुल्फें तेरी काली घटा सल्ले अला सल्ले अला
टुकड़े कमर के हो गये डूबा हुआ सूरज उगा
कन्कर ने भी कल्मा पढ़ा सल्ले अला सल्ले अला
महशर के दिन अय मुस्तफा हम आसियों का बाखुदा
कोई नहीं तेरे सिवा सले अला सल्ले अला
जब मुश्किलें आने लगी गम की घटा छाने लगी
पढ़ने लगे सुबहो मसा सल्ले अला सल्ले अला
तू ही तो है नूरे खुदा हर शै में है जल्वा तेरा
काबा तेरा किब्ला तेरा सल्ले अला सल्ले अला
कोई अगर बीमार हो मुफलिस हो और नादार हो
हर एक मरज़ की है दवा सल्ले अला सल्ले अला
होगी कयामत की घड़ी उस रोज़ भी छा जाएगी
रहमत तेरी बन कर घटा सल्ले अला सल्ले अला
तैबा में जब पहुँचा शजर मन्ज़र अजब भाया नज़र
हर एक देता था सदा सल्ले अला सल्ले अला