है दर्द के मारे दरिया के किनारे
जहरा के दुलारे दरिया के किनारे
अब्बास ही बस थे जैनब का सहारा
अब किसको पुकारे दरिया के किनारे
आकाश है सहमा धरती भी है लरज़ाँ
सूने हैं नजारे दरिया के किनारे
हैं बारिसे से कौसर और मालिक के जमजम
प्यासे हैं वह सारे दरिया के किनारे
बोली यह सकीना बाबा मुझे छोड़ा
अब किसके सहारे दरिया के किनारे
ये औन मोहम्मद गिरते हैं फरस से
या दीँ के मिनार दरिया के किनारे
आ जाओ फरिश्तों सब कर लो तिलावत
कुरआँ के हैं पारे दरिया के किनारे
तिशना अली ज़ादे और धूप की शिद्दत
भड़के हैं शरारे दरिया के किनारे
यह रब का करम है कर्बला में शजर ने
कुछ दिन हैं गुजारे दरिया के किनारे