चम चम चमके तेरा रौजा सैय्यद अली
नूर है तेरे उर्स में बिखरा सैय्यद अली
मौला अली की आँख का तारा सैय्यद अली
है हसनैन के दिल के टुकड़ा सैय्यद अली
कहता है हर एक बशर तेरे सदके
बंटता है हसनैन का सदका सैय्यद अली
हक है यही बंगाल की धरती पर फैला
दीने नबी का तुमसे उजाला सैय्यद अली
मेरी माने आपके दर पर आ जाये
देखना हो जिसको भी तैबा सैय्यद अली
अहले नजर हैं देखते तेरे गुम्बद से
अक्से जमाले गुम्बदे खजरा सैय्यद अली
आपके सदके में बंगाल की धरती पर
बजता है इस्लाम का डंका सैय्यद अली
तेरे आका कुत्बे जहां का रौजा भी
लगता है जैसे हो काबा सैय्यद अली