औलिया के इमाम का क्या कहना

 औलिया के इमाम का क्या कहना

अय मदारुल मुहाम क्या कहना


आप ही की है जात पर कायम

है दो जहां का निजाम क्या कहना


तुम जहां हो वहां बरसती हैं

रहमतें सुब्हो शाम क्या कहना


हिन्द में आके तुम ने छलकाया

इश्के अहमद का जाम क्या कहना


आपने औलिया में पाया है

सब से आला मकाम क्या कहना


बारगाहे नबी में है मकबूल

तेरे दर का गुलाम क्या कहना


सारी दुनिया को दे दिया तुमने

दीने हक का पयाम क्या कहना


बस गुलामाने कुत्वे आलम में

हो शजर का भी नाम क्या कहना
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