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देखेगें नबी मुझको भी रहमत की नज़र से

 देखेगें नबी मुझको भी रहमत की नज़र से

आएगा बुलावा मेरा सरकार के दर से


एक उम्र जो तैबा की जुदाई में जला है

कैसे भला जल जाएगा वो नारे सकर से


रब चाहे जिसे उसको ही मिलती है ये नेअमत

इश्के नबी मिलता नहीं है दौलतो ज़र से


चलना ही अगर है तो चलो जनिबे तैबा

कोई सफर अच्छा नहीं तैबा के सफर से


उश्शाके नबी ने वहाँ सजदे है लुटाए

गुज़रे मेरे सरकार है जिस राहगुज़र से


दीवानगिये इश्के नबी का है तकाजा

पहुँचे जो कभी लौटे ना वो तैबा नगर से


सरकार के घर से ही हमें दीन मिला है

ये दीन बचा भी है तो सरकार के घर से


क्यूँ आठों पहर यादे नबी में है तड़पता

ये सोरिशे गम पूछे कोई कल्बे शजर से
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