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मेरे नबी का है मुखड़ा चाँद भी जिस पर है शैदा

 मेरे नबी का है मुखड़ा चाँद भी जिस पर है शैदा

नूरे मुजस्सम सल्ले अला हक अल्लाहो हक अल्लाह

आपका तैबा मिस्ले जिनाँ और पसीना मुश्को हिना

चाँद से भी रौशन तलवा हक अल्लाहो हक अल्लाह


कुफ्र का हर सू गल्बा आए जब महबूबे खुदा

सारे जहाँ में गूंज उठा हक अल्लाहो हक अल्लाह

है दुनियाँ पुर नूर हुई जुल्मत सब काफूर हुई

चाँद हिरा का जब चमका हक अल्लाहो हक अल्लाह


सेहने काबा के अन्दर छाई फजा है ईमों की

आया मदद करने को है चाचा एक भतीजे की

जुल्म न कर पाएगे अब मक्के के जालिम जाबिर

बोल उठे हैं अब हमजा हक अल्लाहो हक अल्लाह


चाँद के दो टुकड़े हैँ किये सूरज को पलटाया है

आस्मान की सैर है की पेड़ को पास बुलाया है

जब है नबी का ये रुत्बा उनका खुदा कैसा होगा

बोल उठा हर इक बन्दा हक अल्लाहो हक अल्लाह


आप वकारे दीने मुबीँ आपसा आका कोई नहीं

आपके ही हैं जेरे नगीं चाहे फलक हो चाहे जमीँ

आपसे दुनियाँ रोशन है आप की रहमत सावन है

आपके गेसू काली घटा हक अल्लाहो हक अल्लाह


कहने लगा बुजेहल के हम काबे में तो जाते हैं

बुतखाने में मेरे भला आप ना क्यूँ कर आतें हैं

अपने कुदूमे पाक को जब बुतखाने में है रक्खा

बोल उठे सब झूठे खुदा हक अल्लाहो हक अल्लाह


अर्श पे जिसका अहमद है फर्श पे नाम मोहम्मद है

नूरी नूरी मरकद है सब्ज़ वो जिसका गुम्बद है

दोनों जहाँ की रहमत है हर मुफलिस की दौलत है

नूरे खुदा है शमओ हेरा हक अल्लाहो हक अल्लाह


जिसमें न उनकी उल्फ‌त हो वो तो यकीनन दिल ही नहीं

जिसमें न उनका सौदा हो दिल वो किसी काबिल ही नहीं

जो भी नबी का दुश्मन है वो ईमाँ का रहजन है
वो शैताँ का है बच्चा हक अल्लाहो हक अल्लाह


पहले मुसलमानों पर वो जुल्मो तशददुद करते थे
शहरे अरब में रहकर भी बुत की इबादत करते थे

अहले कुफ्र को मक्के से भागने का रास्ता न मिला

चारों तरफ जब गूँज उठा हक अल्लाहो हक अल्लाह


प्यासी हैँ मेरी आँखें उनकी जियारत को मौला

हम को शजर दिखलाएंगे कब्र में वह नूरी चेहरा

आँखों को अय मेरे खुदा ताबे जियारत दे देना

सामने जब आए आका हक अल्लाहो हक अल्लाह
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