آمدِ سرورِ دو عالم ہے
غم کے ماروں کو اب کہاں غم ہے
ہجر طیبہ کا زخم ہے یہ دل
وصل سرکار جسکا مرہم ہے
آ گئے فرش پر خدا کے نبی
آج شیطان محوِ ماتم ہے
نور والا جو فرش پر آیا
جگمگانے لگا یہ عالم ہے
آج عفان بزمِ دنیا میں
صرف ذکر شہ دو عالم ہے
आमदे सरवरे दो आलम है
ग़म के मारों को अब कहां ग़म है
हिजरे तैबा का ज़ख़्म है ये दिल
वसले सरकार जिसका मरहम है
आ गए फर्श पर खुदा के नबी
आज शैतान महवे मातम है
नूर वाला जो फर्श पर आया
जगमगाने लगा ये आलम है
आज अफ़फ़ान बज़मे दुनिया में
सिर्फ़ ज़िकरे शहे दो आलम है
amad e sarware do aalam hai