madaarimedia

بزم نبی میں باریاب سلسلہ مداریہ

بزم نبی میں باریاب سلسلہ مداریہدیکھا گیا ہے کامیاب سلسلہ مداریہ تقسیم سلسلوں کی جب ہونے لگی ازل کے دنمیں نے کیا تھا انتخاب سلسلہ مداریہ جاری ہیں جتنے سلسلے ان میں نمایاں شان ہےتاروں میں جیسے مہتاب سلسلہ مداریہ اندھا ہو وہ بھی دیکھ لے اہل نظر کا ذکر کیاروشن ہے مثل آفتاب سلسلہ … Read more

مقام اوج تو فضل خدا سے ملتا ہے

مقام اوج تو فضل خدا سے ملتا ہےمگر رسول خدا کی رضا سے ملتا ہے در مدار پہ انوار ہیں مدینے کےدر مدار در مصطفی سے ملتا ہے تمہاری عظمت و توقیر کوئی کیا جانےنسب تمہارا علی مرتضے سے ملتا ہے لباس میلا نہیں ہوتا جسم نوری پرثبوت اس کا تمہاری قبا سے ملتا ہے … Read more

رحمت الہی سے آقا وہ ہمارے ہیں

رحمت الہی سے آقا وہ ہمارے ہیںلاڈلے جو حیدر کے مصطفی کے پیارے ہیں کشتئ ولایت کے تم ہو ناخدا مولالاکھوں بحر عرفاں میں تم نے پار اتارے ہیں منزل محبت کے تم ہو رہبر کاملکارواں محبت کے ساتھ ہی تمہارے ہیں اس طرف بھی ایک ساغر مصطفی کی الفت کاہم بھی پیاس کے مارے … Read more

جن و ملک میں آپ مکرم آپ مدار عالم ہیں

جن و ملک میں آپ مکرم آپ مدار عالم ہیںنور نگاہ سرور عالم آپ مدار عالم ہیں پائی ہے نبیوں کی وراثت علم و یقیں کے بن کے امیںنقش نگین یوسف و آدم آپ مدار عالم ہیں غوث و قطب افراد میں جاری آپ کا فیض عرفانیآپ کے تابع سارا عالم آپ مدار عالم ہیں … Read more

آپ کا جو بھی باب حرم چوم لے

 

منقبت شریف

آپ کا جو بھی باب حرم چوم لے
سر بلندی خود اس کے قدم چوم لے

شاہکار ولایت وہ کیسے نہ ہو
جس کی پیشانی شاہ امم چوم لے

خلد کی کیاریاں ہیں تری جالیاں
جو بھی دیکھے خدا کی قسم چوم لے

اس کی مٹھی میں ہو جائے سارا جہاں
بڑھ کے جو تیرا دست کرم چوم لے

چاہتا ہو مسرت کا جو آسماں
ان کی دہلیز با چشم نم چوم لے

اس کے سینے میں ایماں دھڑکنے لگے
پاؤں تیرے جو کوئی صنم چوم لے

ہے عقیدت کا شہرت تقاضہ یہی
مدح آقا جو لکھے قلم چوم لے

Read more

آپ کا زندہ ولی ذیشان رتبہ کر دیا

  آپ کا زندہ ولی ذیشان رتبہ کر دیا اولیاء کی صف میں رب نے سب سے اعلی کر دیا قم باذن اللہ کہہ کر آپ نے زندہ مدار ایک ٹھوکر مار کے مردوں کو زندہ کر دیا شان و شوکت آپ کی کیسے نظر آئے انھیںآپ کی نفرت نے جن لوگوں کو اندھا کر … Read more

सारे वलियों के अय ताजदार अल मदद अल मदद या मदार

 सारे वलियों के अय ताजदार अल मदद अल मदद या मदार

तुम हो महबूबे परवरदिगार अल मदद अल मदद या मदार


हम परेशान हैं और मेहमान है आप तो सारे आलम के सुल्तान हैं

गैर मुम्किन तलब गैर से हम करें आप मरकद में खुद जलवा सामान हैं

आप ही हम सभी के निगेहबान हैं आप दीने मुहम्मद की पहचान हैं

मांगते हैं वसीले जो आपके बस वही लोग सच्चे मुसलमान हैं

आप हर इक के हैं गम गुसार अल मदद अल मदद या मदार


अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

हम को दरबारे कुत्बुल वरा मिल गया यानी जन्नत का लोगों पता मिल गया

हम को दरबारे कुत्बुल वरा क्या मिला हक के महबूब का सिलसिला मिल गया

आप से ही नबी का पता मिल गया जब नबी मिल गये तो खुदा मिल गया

हमको असहाब की भी मोहब्बत मिली और हसनैन का वास्ता मिल गया

बीबी जहरा के दिल के करार अल मदद अल मदद या मदार


अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

बे सहारा हूं मैं आसरा कौन है मेरे दर्दे जिगर की दवा कौन है

मैं हूं बीमारे गम और शिफा कौन है कुत्वे दी एक तुम्हारे सिवा कौन है

तुमने मुर्दों को भी जिन्दगी बख्श दी गम के मारों को तुमने खुशी बख्श दी

तीरगी दिल पे जब भी है छाने लगी तुमने कुत्वे जहां रोशनी बख्श दी

सुन लो मेरे भी दिल की पुकार अल मदद अल मदद या मदार


अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

अल अजल या मदारल्वरा अल अजल अल वहा या मदारददोना अल वहा

नूरे ईमान और दीने हक की ज़िया हमको जो कुछ मिला आप ही से मिला

इन्नका मुअतियुन व अना साएलुन इन्नका मोहसिनुन व अना आसियुन

आप तो हैं सखी और इब्ने सखी आप दाता हैं और हम भिकारी सभी

हम पे चश्मे करम एक बार अल मदद अल मदद या मदार


मस्दरे सिलसिला हैं रसूले खुदा किसकी जुरअत मिटाये जो यह सिलसिला

हिन्द में आप से दीं का गुलशन खिला सबको ईमान तो आप ही से मिला

देखना मुन्किरों वह भी दिन आयेगा सिलसिला इनका आलम में छा जायेगा

सच को मानेंगे सब झूट मिट जायेगा अय मुनाफिक तू उस रोज पछतायेगा

तब कहेगा यही बार बार अल मदद अल मदद या मदार


अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

मुझ को दौलत न माल और न जर चाहिये फक्र के वास्ते तेरा दर चाहिये

कुत्बे दी एक करम की नजर चाहिये मुझको रंजो अलम से मफ चाहिये

जिसको कुत्बे जहां तेरा दर मिल गया उसको रंजो अलम से मफर मिल गया

जिस पे कोई खिजां का असर ही न हो उसको तकदीर से वह शजर मिल गया

मुझ शजर का है तुमपे मदार अल मदद अल मदद या मदार

अल मदद अल मदद या मदार अल मदद अल मदद या मदार

कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं

 कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं

जुज तेरे आका मेरा कोई मदद गार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


यह जमाना है अजब अय शहेन्शाहे हलब

जब तलक है मतलब तब तलक मिलते हैं सब

बे गरज कोई भी देता है यहां प्यार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


कौन है अपना भला कुत्वे दीं तेरे सिवा

किसको आवाज मैं दूं किसको आका दूं सदा

बहरे इम्दाद कोई आता ही सरकार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


उनके मंगतों के लिये रब ने दर खोल दिये

उनके आँसू जो बहे तो गोहर खोल दिये

क्या गदा तेरा गदाए शहे अबरार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


ठोकरें खायी बहुत तेरे दरबार में हूं

दिल लिये आया शहा तेरे बाजार में हूं

कोई इस टूटे हुये दिल का खरीदार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


मेरे चेहरे पे जमीं गुम की क्या गर्द नहीं

कोई सुख दुख का नहीं कोई हमदर्द नहीं

क्या मेरे अपने ही मेरे लिये अग्यार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं


एक दिन आयेगा जब बेनिशां हम होंगे

खाके पा गर हैं तेरी कहकशा हम होंगे

हम शजर वाकई शोहरत के तलबगार नहीं


कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं

आया हूं सरकार सात समन्दर पार

 आया हूं सरकार सात समन्दर पार

छोड़ के सब घर बार सात समन्दर पार


नूरी नूरी घर आंगन और नूरी बामो दर

देखने पहुँचे हैं आका सब आपके रोजे पर

लेकिन इक नादार सात समन्दर पार


दुनिया की सारी नदियां जिस पर करती है नाज

उस ईसन की पाक जमीं को देती हैं आवाज

अश्कों की बौछार सात समन्दर पार


तेरी शानो शौकत तेरा जलवा देखा है

हमने तेरे नाम का चलते सिक्का देखा है

अय मेरे सरकार सात समन्दर पार


अय आका अय वलियों के सरदार बना डालो

तुम चाहो मुझ कतरे को सरकार बना डालो

एक बहरे जख्खार सात समन्दर पार


मेरी खुशी और मेरे हर गम देखते रहते हैं

मेरा शजर ईमान है हर दम देखते रहते हैं

जिन्दा शाह मदार सात समन्दर पार

औलिया के इमाम का क्या कहना

 औलिया के इमाम का क्या कहना

अय मदारुल मुहाम क्या कहना


आप ही की है जात पर कायम

है दो जहां का निजाम क्या कहना


तुम जहां हो वहां बरसती हैं

रहमतें सुब्हो शाम क्या कहना


हिन्द में आके तुम ने छलकाया

इश्के अहमद का जाम क्या कहना


आपने औलिया में पाया है

सब से आला मकाम क्या कहना


बारगाहे नबी में है मकबूल

तेरे दर का गुलाम क्या कहना


सारी दुनिया को दे दिया तुमने

दीने हक का पयाम क्या कहना


बस गुलामाने कुत्वे आलम में

हो शजर का भी नाम क्या कहना

Top Categories