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نہ جانے کس قدر ہیں بے بہا کانٹے مدینے کے

 

न जाने किस क़दर हैं वे बहा काँटे मदीने के
गुलाबों के हैं दिल का मुद्दआ काँटे मदीने के

इताअत का यह ज़ौक़े वालिहाना देखले दुनिया
है दामन हज़रते सिद्दीक़ का काँटे मदीने केmadaarimedia.com

मिले मेराज मेरी आबला पाई को तैबा में
कभी कह दें जो मुझसे मरहबा काँटे मदीने के

न कर पामाल इनको यह हैं रश्के गुलशने जन्नत
अरे नादाँ तू आँखों से लगा काँटे मदीने के

ग़मे आले मुहम्मद की चुभन है इनके सीने में
लिये हैं दिल में दर्द करबला काँटे मदीने के

दयारे मुस्तफा की बादियों से दूर मत करना
खुदा से माँगते हैं यह दुआ काँटे मदीने के

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ادب سے چوم لے ہر ذرہ تو مدینے کا

 

अदब से चूम ले हर ज़र्रा तू मदीने का
कि यह मक़ाम है नादाँ बड़े क़रीने का

है जिसमे जज़्बऐ ज़ौक़े सफर मदीने का
इसी हयात में बस ज़ाएक़ा है जीने का
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बता रही है हमें सूरहे अलम नशराह

है गोशा गोशा मुजल्ला नबी के सीने का

वो जिसकी आल है कश्तीए नूह की मानिन्द
है नाखुदा वही लोगो मेरे सफीने का

करम की एक नज़र इसपे रहमते आलम
न टूट जाए भरम दिल के आबगीने का

कभी तो चमकेगा अपने नसीब का तारा
कभी तो तैबा में मौक़ा मिलेगा जीने का

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آقائے دوجہاں پہ جو قربان ہوگئے

 

आक़ाऐ दो जहाँ पे जो कुरबान हो गऐ
अल्लाह ही जाने कितने वो ज़ीशान हो गऐ

सच्चा रसूल आमिना बीबी का लाल है
काफ़िर यह कह के साहिबे ईमान हो गऐ
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दीवानगीये इश्क़े मौहम्मद में हूँ मगन

अब मरहले हयात के आसान हो गऐ

अल्फाज़ मैने नात में कुछ एसे चुन लिये
महशर में जो नजात का सामान हो गऐ

आवाज़े हक़ जो काबे में गूँजी तो यूँ लगा
पत्थर भी कलमा पढ़ के मुसलमान हो गऐ

इस दर्जा पाक कर दिया अल्लाह ने उन्हे
सिब्ते रसूल बोलता कुरआन हो गऐ

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ہر ظلم ہوا برباد کہ آئے میرے پیار نبی

 

हर जुल्म हुआ बर्बाद कि आए मेरे प्यारे नबी
अब कोई न हो नाशाद कि आए मेरे प्यारे नबी

रहमत के बादल बरसे हैं दुनिया की सूखी धरती पर
गुलशन में बहारें आई हैं सब फूलें फलें फल फूल शजर
मालिक ने सुनी फरियाद कि आए मेरे प्यारे नबी
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अब कुफ्र की दुनिया सूनी है सन्नाटे हैं बुत खानो में

हर सिम्त है इक शोरे मातम अब बिदअत के ऐवानो में
बातिल की हिली बुनियाद कि आए मेरे प्यारे नबी

बिखरे हैं सदाक़त के जलवे फारूक़िय्यत की बस्ती में
हैं नूरे सखावत नूरे विला इन्सानियत की हस्ती में
हर शख्श हुआ आबाद कि आए मेरे प्यारे नबी

सय्याद के पिंजरों के अन्दर दुख दर्द भरीं थीं आबाज़ें
ज़ालिम दुनिया ने पर काटे और छीन लीं जिनकी परवाज़ें
वो पंछी हुऐ आज़ाद कि आए मेरे प्यारे नबी

है सोज़, नहीं मज़लूमों को अब जुल्मों तशदुश का ख़तरा
आमद से उनकी खुश होकर कहता है यतीम इक इक बच्चा
अब होगी मेरी इमदाद कि आए मेरे प्यारे नबी

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کاش طیبہ میں آقا بلائیں

 

काश तैबा में आक़ा बुलाऐं
सर के बल हम मदीने को जाऐं

एक दिन बारगाहे नबी में
अपनी मक़बूल होंगी दुआऐं
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मिट गई कुफरो बिदअत की ज़ुल्मत

नूरे हक़ की जो फैलीं ज़ियाऐं

मैं गुलामे शहे अम्बिया हूँ
हादिसे मुझसे दामन बचाऐं

लब पे आया जो नामे मुहम्मद
हो गयीं दूर सारी बलाऐं

जाके बादे सबा तू मदीना
अर्ज़ कर दे मेरी इल्तिजाऐं

सोज़, नाज़ाँ है रहमत पे उनकी
दो जहाँ जिनपे कुरबान जाऐं

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سر سجدهٔ خالق میں ہے اور لب پہ دعا ہے

 

सर सज्दए ख़ालिक़ मे है और लब पे दुआ है
उम्मत के लिये क्या नहीं आक़ा ने किया है

अल्लाह रे क्या अज़मते महबूबे खुदा है
खुद अर्श-ए-बरीं बढ़ के क़दम चूम रहा है
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क्या सल्ले अला गुलशने महबूबे खुदा है

जो फूल है खुशबूऐ मौहम्मद में बसा है

उस बच्चे को क्या होगा ग़में दर्द यतीमी
जो रहमते कौनैन की गोदी में पला है

क्या अपनी जुबाँ से कहूँ हाले ग़में दौराँ
जो बीत रही है मेरे आक़ा को पता है

बस गुम्बदे ख़ज़रा की ज़ियारत हो मुयस्सर
दिल में कोई ख्वाहिश ही नही इसके सिवा है

दुनिया के शहनशाहों से बेहतर है वो ए सोज़
आका की गुलामी का शरफ़ जिसको मिला है

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کون یہاں ہے کس کا ساتھی یہ مطلب کی دنیا ہے

 

कौन यहाँ है किसका साथी यह मतलब की दुनिया है
जो दुखियों के आँसू पोछे वोह तो मदीने वाला है

ऐसा करम फरमाने वाला कोई बताओ देखा है
बाँधे है अपने पेट से पत्थर और दुनिया का दाता है

इन्ना आतैना कल कौसर कुरऔं में फरमाया है
ख़ालिक़े आज़म ने ए आक़ा आपको सब कुछ बख्शा है

नूरे मुजस्सम के क़दमों को प्यार से तूने चूमा है
अर्जे मदीना अर्श का हमसर तेरा ज़र्रा ज़र्रा है
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दर दर ठोंकर खाने वालो इस दर्जा बे आस न हो

आओ माँगें भीख उसी से जो रहमत का दरिया है

अपनी तो बद आमाली से बख्शिश की उम्मीद नही
महशर में ए शाफेऐ महशर तेरा एक सहारा है

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یوں عام زمانے میں کرو پیار کی باتیں


यूँ आम ज़माने में करो प्यार की बातें
बच्चों को सिखाओ मेरे सरकार की बातें

कुछ इसके अलावा मुझे अच्छा नहीं लगता
दिल कहता है करते रहो सरकार की बातें
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इन चाँद सितारों की ज़िया माँद है आक़ा

हैं इतनी मुनव्वर तेरे किरदार की बातें

आये हैं उमर पेशे नबी सर को झुकाऐ
अब क़त्ल की बातें हैं न तलवार की बातें

अल्लाह की रहमत की वहाँ होती है बारिश
होती हैं जहाँ अहमदे मुख्तार की बातें

ईमान के फूलों से भरा आपने दामन
हम भूल गऐ कुफ्र के हर ख़ार की बातें

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طیبہ کی آرزو میں جئے جارہا ہوں میں

 

तैबा की आरज़ू में जिये जा रहा हूं मैं
जामे ग़मे फ़िराक़ पिये जा रहा हूं मैं

तैबा की हाज़री का शरफ़ मिल गया मुझे
हर फिक्र को सलाम किये जा रहा हूं मैं
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अब क़ब्र के अंधेरों की परवाह नहीं मुझे

इश्क़े नबी का नूर लिये जा रहा हूं मैं

तैबा की रह गुज़र है निगाहों के सामने
जज़्बे जुनूँ मे सज्दे किये जा रहा हूं मैं

ऐ सोज़ जिसमें खुशबू है इश्क़े रसूल की
ज़हनों को ऐसे लफ्ज़ दिये जा रहा हूं मैं

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ویلکم ویلکم یارسول اللہ welcome welcome Ya Rasullah

Welcome Welcome Ya Rasulallah
हूरों ने कहा गिल्मा ने कहा
सब बोले मलक इन्साँ ने कहा
करते इस्तक़बाल हैं हम या रसूलल्लाह
Wellcome welcome

welcome welcome ya rasulallah
home of abdullah is lighting singing everydy
swinging swinging every reverb happy happy see
daayi halima talling cum cum ya rasullah
welcome welcome
welcome welcome ya rasullah

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