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अल मदीना अल मदीना अल मदीना अल मदीना

 अल मदीना अल मदीना अल मदीना अल मदीना

खुल्द का लोगों है जीना अल मदीना अल मदीना

रहमतों का है ख़ज़ीना अल मदीना अल मदीना


साकिये कौसर कहाँ है बाइसे ज़मज़म कहाँ

हैं छलकते जामे इश्के सरवरे आलम कहाँ

कह उठा हर जामों मीना अल मदीना अल मदीना


मस्दरे जूदो सखा है मम्बए फैज़ों करम

मख्ज़ने नूरे खुदा है मरकज़े नाज़े इरम

रहमतों का है खजीना अल मदीना अल मदीना


अपना नूरी दर दिखाएगें हमें मुख्तारे कुल

इस बरस देखों बुलाएगें हमें मुख्तारे कुल

आ गया हज का महीना अल मदीना अल मदीना


बस सिवाए इश्के सरकारे दो आलम कुछ न हो

और इसमें जुज़ गमे सरकार के गम कुछ न हो

काश बन जाए ये सीना अल मदीना अल मदीना


किस के जर्रे की चमक करती है फीका तेरा रंग

किस ज़मीं के तुझसे भी नायाब है ज़र्राते संग

कह उठा हर एक नगीना अल मदीना अल मदीना

झूम उठे महो अख्तर आमेना के घर आया

 झूम उठे महो अख्तर आमेना के घर आया

जब खुदा का पैगम्बर आमेना के घर आया


फिक्र क्यूँ करें आसी हश्र में शफाअत की

आज शाफए महशर आमेना के घर आया


जिसके इक इशारे पर चाँद होगा दो टुकड़े

इखतियारे कुल लेकर आमेना के घर आया


खत्म क्यूँ न हो जाए गुमरही ज़माने से

कायनात का रहबर आमेना के घर आया


औलिया हो यामोमिन अमबया फरिश्ते हों

जो सभी से हेै बेहतर आमेना के घर आया


अब तलक जो पोशीदा था पनाहे वहदत में

ओढ़े नूर की चादर आमेना के घर आया


जो हबीब रब का है जो तबीब सबका है

जो है मालिके कौसर आमेना के घर आया


अय जहाँ के सुल्तानों झुक के सब सलामी दो

कायनात का सरवर आमेना के घर आया


अय शजर तशददुद का राज मिटने वाला है

रहमो अम्न का पैकर आमेना के घर आया

जल्वए नूरे मोहम्मद मरकज़े अन्वार से

 जल्वए नूरे मोहम्मद मरकज़े अन्वार से

हुस्न आलम को मिला है अहमदे मुख्तार से


दिन हुआ रोशन तुम्हारे रुए पुर अन्वार से

रात ने पाई सियाही गेसुए खमदार से


कोई तेरे हुस्न की कीमत लगा सकता नहीं

ये सदाएँ आ रही है मिस के बाजार से


किस कदर भारी है इक इक पल नबी के हिज्र का

ये कसक ये दर्द पूछो इस दिले नादार से


मिल गया किस्मत से है तुमको दरे खैरुलवरा

जो भी चाहों माँग लो कोनैन के मुख्तार से


गौसो ख्वाजा हो मोईनुददर्दी हों या हों बायज़ीद

भीख पाता हर वली है आपके दरबार से


उनके कदमों तक पहुँचने की ज़रा कोशिश तो कर

अपने सीने से लगा लेगें वो बढ़कर प्यार से


मरहबा सद मरहबा अय पैकरे खुल्के अजीम

तूने दुनियाँ को बदल डाला हसीं किरदार से


आप हैं नूरे मुजस्सम आप हैं नूरे खदा

दो जहाँ रोशन हुए हैं आपके अन्वार से


तेरे किरदारो अमल पे नाज़ ये दुनियाँ करे

अय शजर है खून का रिश्ता तेरा सरकार से

जब परीशों हों नबी के उम्मती महशर के दिन

 जब परीशों हों नबी के उम्मती महशर के दिन

थाम लें बढ़ कर वो दामाने नबी महशर के दिन


रब बनाएगा उन्हीं को जन्नती महशर के दिन

जो भी हैं सच्चे गुलामाने नबी महशर के दिन


जिसमें शामिल हो न हुब्बे अहमदी महशर के दिन

काम आ सकती नहीं वो बन्दगी महशर के दिन


ये बिलालों जैदो सलमानों अनस से पूछिये

कितनी काम आई नबी की चाकरी महशर के दिन


अब्रे रहमत बनके गेसूए मुहम्मद छा गए

धूप की शिद्दत जो हद से बढ़ गई महशर के दिन


आबे कौसर जो पिलाऐगें नबी के इज़्न से

हैं उमर सिद्दीको उस्मानो अली महशर के दिन


हो वो इब्राहीमो इस्माईलो मूसा या के नूह

आसरा तुमसे लगाए हैं सभी महशर के दिन


पुरसिशे आमाल से डरता है क्यूँ तू अय शजर
काफी है बख्शिश को एक नाते नबी महशर के दिन

और अपने पास क्या है रहमतुल लिल आलमीन

 और अपने पास क्या है रहमतुल लिल आलमीन

बस तुम्हारा आसरा है रहमतुल लिल आलमीन


धूप शिददत की कयामत की तपिश महशर का दिन

आपकी सर पर रिदा है रहमतुल लिल आलमीन


मरकजे अहले वफा है रहमतुल लिल आलमीन

आपका जो नक्शे पा है रहमतुल लिल आलमीन


हो जियारत आपके दरबार की मुझको नसीब

मेरे लब पे ये दुआ है रहमतुल लिल आलमीन


रहमते हक ने लिया बढ़ के उसे आगोश में

प्यार से जिसने कहा है रहमतुल लिल आलमीन


हे फरिश्ते उस पे नाजाँ रहमते उस पर निसार

जिसने दिल पर लिख लिया है रहमतुल लिल आलमीन


और कुछ मुझको दो आलम में नज़र आता नहीं

बस शजर का मुददआ है रहमतुल लिल आलमीन

वहाँ जर्रा जर्रा महो कहकशाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है

 वहाँ जर्रा जर्रा महो कहकशाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है

वहीं सरनिगूँ रिफअते आस्माँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


अबूबकरो उस्मानो फारुको बूज़र अली फात्मा और शब्बीरो शब्बर

बताऊँ के इन सब का मरकज कहाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


वहाँ से हुई दूर है बेजुबानी वहाँ उतरा है मस्हफे आस्मानी

वहीं से मिली वे जुबाँ को जुबाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


वहीं पे तो हैँ शाफए रोजे महशर वहीं पर तो है मालिके हौजे कौसर

वहीं हश्र की धूप का साएबाँ हैं मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


इलाजे जिगर की ज़रुरत नहीं है मुझे चारागर की जरुरत नहीं है

मेरे हर मरज़ की दवा तो वहाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


दरे सरवरे दीँ पे उफ् भी न करना अय जाइर अदब उनका मल्हूज़ रखना

वहाँ हर कदम इश्क का इतिहाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


अजब हुज्रए आएशा का है मन्जर है जल्वा गहे अहले बैते पयम्बर

वहाँ अपना घर याद आता कहाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


नजारे सितारे ये बर्गो शजर भी जिया लेने आते है शम्सो कमर भी

वहाँ मरकजे हुस्ने हर गुलिस्ताँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है

मेरे नबी का है मुखड़ा चाँद भी जिस पर है शैदा

 मेरे नबी का है मुखड़ा चाँद भी जिस पर है शैदा

नूरे मुजस्सम सल्ले अला हक अल्लाहो हक अल्लाह

आपका तैबा मिस्ले जिनाँ और पसीना मुश्को हिना

चाँद से भी रौशन तलवा हक अल्लाहो हक अल्लाह


कुफ्र का हर सू गल्बा आए जब महबूबे खुदा

सारे जहाँ में गूंज उठा हक अल्लाहो हक अल्लाह

है दुनियाँ पुर नूर हुई जुल्मत सब काफूर हुई

चाँद हिरा का जब चमका हक अल्लाहो हक अल्लाह


सेहने काबा के अन्दर छाई फजा है ईमों की

आया मदद करने को है चाचा एक भतीजे की

जुल्म न कर पाएगे अब मक्के के जालिम जाबिर

बोल उठे हैं अब हमजा हक अल्लाहो हक अल्लाह


चाँद के दो टुकड़े हैँ किये सूरज को पलटाया है

आस्मान की सैर है की पेड़ को पास बुलाया है

जब है नबी का ये रुत्बा उनका खुदा कैसा होगा

बोल उठा हर इक बन्दा हक अल्लाहो हक अल्लाह


आप वकारे दीने मुबीँ आपसा आका कोई नहीं

आपके ही हैं जेरे नगीं चाहे फलक हो चाहे जमीँ

आपसे दुनियाँ रोशन है आप की रहमत सावन है

आपके गेसू काली घटा हक अल्लाहो हक अल्लाह


कहने लगा बुजेहल के हम काबे में तो जाते हैं

बुतखाने में मेरे भला आप ना क्यूँ कर आतें हैं

अपने कुदूमे पाक को जब बुतखाने में है रक्खा

बोल उठे सब झूठे खुदा हक अल्लाहो हक अल्लाह


अर्श पे जिसका अहमद है फर्श पे नाम मोहम्मद है

नूरी नूरी मरकद है सब्ज़ वो जिसका गुम्बद है

दोनों जहाँ की रहमत है हर मुफलिस की दौलत है

नूरे खुदा है शमओ हेरा हक अल्लाहो हक अल्लाह


जिसमें न उनकी उल्फ‌त हो वो तो यकीनन दिल ही नहीं

जिसमें न उनका सौदा हो दिल वो किसी काबिल ही नहीं

जो भी नबी का दुश्मन है वो ईमाँ का रहजन है
वो शैताँ का है बच्चा हक अल्लाहो हक अल्लाह


पहले मुसलमानों पर वो जुल्मो तशददुद करते थे
शहरे अरब में रहकर भी बुत की इबादत करते थे

अहले कुफ्र को मक्के से भागने का रास्ता न मिला

चारों तरफ जब गूँज उठा हक अल्लाहो हक अल्लाह


प्यासी हैँ मेरी आँखें उनकी जियारत को मौला

हम को शजर दिखलाएंगे कब्र में वह नूरी चेहरा

आँखों को अय मेरे खुदा ताबे जियारत दे देना

सामने जब आए आका हक अल्लाहो हक अल्लाह

मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले

 मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले

लुटा कर इश्क के सजदे जबीं चमकाने वाले


सुनहरी जालियोँ से नूर की किरर्ने बिखरती हैं

जो रौशन ज़ायरे सरकार की आखों को करती हैँ

बसा कर लेते आना वो मन्जर जाने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले


बुलाया है रसूले पाक ने क्या रोक ले कोई

है किसमें ताब इतनी इनका रस्ता रोक ले कोई

मसाएब से दुनियाँ की नहीं घबराने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले


बड़ा एहसान है सरकार का सारे जमाने पर

शिफा पाता है हर बीमार उनके आस्ताने पर

बड़े किस्मत वाले हैं वो चौखट पाने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले


करम की इक नज़र सरकार डालेगें कभी तुझ पर

किसी दिन जमके बरसेगी घटा रहमत भरी तुझ पर

अय इश्के सरवरे दीं में सदफ बरसाने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले


तुम्हारे इश्क का सरकार है बीमार कह देना

शजर की इल्तजा भी जायरे सरकार कह देना

बुला लें मुझको भी वो करम फरमाने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले

जब भी दिले रन्जूर ने दी है सदा या मुस्तफा

 जब भी दिले रन्जूर ने दी है सदा या मुस्तफा

बरसी तुम्हारे फैज़ की मुझ पर घटा या मुस्तफा


होगा चमन हददे नज़र खुल जाएगा जन्नत का दर

महशर में जब देखेगें हम जल्वा तेरा या मुस्तफा


तुम नूर बनके आए जब दुनियाँ ने पहचाना है तब

वरना खुदा का नूर भी एक राज था या मुस्तफा


इम्दाद उसको मिल गई उसकी खिली दिल की कली

रंजो गमों आलाम में जिसने कहा या मुस्तफा


तू रब का ऐसा नूर है है माँद जिसके सामने

हर इक किरन हर एक चमक हर एक जिया या मुस्तफा


जो मुश्किलें आसाँ करे कल्बे हजी शादाँ करे

दुनियाँ में कोई भी नहीं तेरे सिवा या मुस्तफा


पत्थर बना रश्के गोहर फूला फला है वो शजर

तेरे वसीले से है की जिसने दोआ या मुस्तफा

हर एक शहर हर गली चमन चमन कली कली

हर एक शहर हर गली चमन चमन कली कली

पुकारते हैं हम सभी मेरे नबी मेरे नबी


है कौन वज्हे कुनफकाँ है कौन रश्के इन्सो जाँ

है किसकी सब पे सल्तनत मकीँ हो या हो लामकाँ

हबीब रब का कौन है तबीब सबका कौन है

पुकार उठा ये हर कोई मेरे नबी मेरे नबी


बड़ा ही खुश खिसाल है बड़ा ही बा कमाल है

नबी का जो बिलाल है वो दीन का हिलाल है

मिलें है उसको गम बहुत हुई है आँख नम बहु

मगर ज़बाँ पे था यही मेरे नबी मेरे नबी


न जुस्तजू दफीने की न है तलब खजीने की

मेरे खुदा है आरजू मुझे फक्त मदीने की

मदीना पहुँचू जिस घड़ी हो सामने दरे नबी

तो लब पे आए बस यही मेरे नबी मेरे नबी


हर उम्मती की जान हो हर एक बशर की शान हो

तुम्ही हो वज्हे कुन फकाँ तुम्ही निगेहबान हो

तुम्ही हो अर्श का सुकूँ खुदा के मेहमान हो

है जिब्रईल हैरती मेरे नबी मेरे नबी


जलेगा हर मकाँ मकीं तपेगी धूप से ज़मी

शदीद होगी धूप की तपिश मगर है ये यकीं

घटा वो बनके आऐगें वहीं मेरी बुझाऐगें

बरोजे हश्र तश्नगी मेरे नबी मेरे नबी


न पूछ मुझसे क्या हूँ मैं गुलामे मुस्तफा हूँ मैं

नबी का हूँ गदाए दर तो सब का मुददआ हूँ मैं

गुलामिये नबी मिली नबी की चाकरी मिली

अबस है अब शहिन्ही मेरे नबी मेरे नबी


नबी की जलवा गाह में रसूल की पनाह में

चला है आशिके नबी मदीना तेरी राह में

नहीं है कज कुलाह में बसा है बस निगाह में

दरे रसूले हाशमी मेरे नबी मेरे नबी


अँधेरी कब्र में शजर लगा जो तीरगी से डर

थी जा बहोत वो पुरख़तर करम ये हो गया मगर

वो नूर बनके आ गये लहद को जगमगा गये

फना हुई है तीरगी मेरे नबी मेरे नबी

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