madaarimedia

सभी आसियों का वही आसरा है

 सभी आसियों का वही आसरा है

जो महबूबे हक हैरसूले खुदा है


मोहम्मद का रुत्बा जहाँ में सिवा है

कोई उनके जैसा नहीं दूसरा है


बढ़ी और भी आतिशे इश्के अहमद

मदीने से आई जो ठन्डी हवा है


करम कीजिये नाखुदाए मदीना

कि तूफान में मेरा बेड़ा फंसा है


बुलाएगें कब रहमते हर दो आलम

ये जाइर से दीवाना दिल पूछता है


तेरे नूर से चाँद सूरज है रौशन

सितारों में बाकी तुझी से जिया है


ज़माने की गर्दिश न इससे उलझ तू

शजर तो मोहम्मद के दर का गदा है

फरिश्ते यूँ इबादत कर रहे हैं

 फरिश्ते यूँ इबादत कर रहे हैं

तेरे दर की जियारत कर रहे हैं


अदा आका की सुन्नत कर रहें हैँ

अली से हम मोहब्बत कर रहे हैं


सितारो आओ बढ़के दो गवाही

वो ऐलाने नबुव्वत कर रहें है


वो सिदरा से भी आगे जा चुके हैं

खड़े जिबरील हैरत कर रहे हैँ


सरों पे जैसे बैठे हों परिन्दे

सहाबा यूँ समाअत कर रहें हैं


मदीने वालों तुमको हो मुबारक

मेरे सरकार हिजरत कर रहें हैँ


सितारे चाँद गर्दिश आस्माँ पर

तुम्हारी ही बदौलत कर रहें हैँ


तुम्हारे खून की निस्बत के सदके

बशर सब मेरी इज्जत कर रहे हैँ


हरम से अर्शे आज़म तक की पूरी

वो पल में तै मसाफ़त कर रहें हैं


बुलाकर सरवरे आलम मदीने

शजर की पूरी हसरत कर रहे हैं

हुजूरी की हर दम दुआ माँगते हैं इन आँखों में आँसू मचलते मचलते

 हुजूरी की हर दम दुआ माँगते हैं इन आँखों में आँसू मचलते मचलते

दयारे मदीना से हम दूर रहकर कहाँ तक रहेगें तड़पते तड़पते


तेरी जुल्फ का मोजिजा है ये आका दो आलम रहेगें महकते महकते

जिया चाँद तारों को देता रहेगा तेरा नूरी तल्वा चमकते चमकते


हर एक आँख नम थी हर एक दिल में गम था मदीने में था एक कोहराम बरपा

सुनी अहले तैबा ने बादे नबी जब अजाने बिलाली बिलखते बिलखते


यही आरजू है यही है तमन्ना बस एक बार मैं देख लू तेरा रौजा

बुला लो मदीने में अय मेरे आका हुई एक मुददत तड़पते तड़पते


करूँ मदह तेरी क्या औकात मेरी कहाँ नाते सरवर कहाँ जात मेरी

तेरा ही वुफूरे करम है ये आका संभलता रहा हूँ बहकते बहकते


अकेला शजर ही नहीं मदहख्वाँ है नबी का तो मद्दाह सारा जहाँ है

हैं गाते परिन्दे भी नग्में नबी के हर एक सुब्ह उठकर चहकते चहकते

मेरे आका करम फरमाइयेगा

 मेरे आका करम फरमाइयेगा

मदीना हमको भी बुलवाइयेगा


कभी सर पर मेरे जो आए मुश्किल

मदद के वास्ते आ जाइयेगा


यकीनन आएगें नूरे मुजस्सम

न हरगिज़ कब्र में घबराइयेगा


हो दिल तैबा की फुरकत से परेशाँ

नबी की नात से बहलाइयेगा


है खाली दिल की बस्ती रहमते कुल

हमारे सीने में बस जाइयेगा


जो बरसें आपकी फुरकत में आँखें

हुजूर अबरे करम बरसाइयेगा


नज़र में सीरते सरकार रख के

मसाइल जीस्त के सुलझाइयेगा


लिबासे रहबरी पहनें है रहजन

शजर हरगिज न धोका खाइयेगा

फिदाका या रसूलल्लाह फिदाका या रसूलल्लाह

 फिदाका या रसूलल्लाह फिदाका या रसूलल्लाह

जमाले रुए अन्वर से हैं ये आँखे मेरी रौशन

पसीना तेरा महकाए हुए है दिल का ये गुलशन

बसा इस दिल में बस तू है कि साँसों में तेरी बू है

है जेहनों में तेरा नक्शा फिदाका या रसूलल्लाह


अबू अय्यूब अन्सारी अनस सलमानों बू मूसा

अबू अस्वद बेलालो जैदो हस्सानो अबू तल्हा

वो सिददीको उमर हैदर वो जुन्नूरैन और बूजर

सहाबा का हर इक बच्चा फिदाका या रसूलल्लाह


सुहानी रात में ये जो सितारे जगमगाते हैं

उतरती चाँदनी है और जुगनू टिमटिमाते हैं

ये भंवरे गीत गाते हैं ये गुल जो मुस्कुराते हैं

तुम्हारे ही लिये आका फिदाका या रसूलल्लाह


तमन्नाए दिली मेरी जो बर आए तो क्या कहना

तुम्हारे आस्तों की दीद हो जाए तो क्या कहना

है आँखो में तेरा रौजा मगर मजबूर हूँ आका

बुला लीजे मुझे तैबा फ़िदाका या रसूलल्लाह


सजाए ख्वाब आखों में बसाए दिल में गम तेरा

हूँ बैठा राहे तैबा पर के कब होगा करम तेरा

बुलावा आएगा कब तक शजर मुस्काएगा कब तक

तेरा दीदार कब होगा फिदाका या रसूलल्लाह

या अय्यो हन्नबी या अय्यो हन्नबी

 या अय्यो हन्नबी या अय्यो हन्नबी

मुज़्ज़म्मिलो मुददस्सिरो यासीन वल क़रशी

मुज़्ज़क्किरो मोहम्मदो महमूद वल मक्की

नूरुँ व अब्तही या अय्यो हन्नबी


तुम बाइसे तकमिले दीं खत्मे रुसुल तुम हो

हो मन्जिले राहे हुदा नूरे सुबुल तुम हो

तुमसे है रौशनी या अय्यो हन्नबी


अय शाहकारे मालिके सूदोज़ियाँ तुम पर

हर उम्मती की अय शहे कौनों मकाँ तुम पर

कुरबान जिन्दगी या अय्यो हन्नबी


दिल ने हमारे पा लिया है अपना मुद्दआ

इश्के रसूले पाक का है गम इसे मिला

कुरबान हर खुशी या या अय्यो हन्नबी


छूटा जो मुझसे है तेरा दरबार हो गई

तुझसे बिछड़ के अय मेरे सरकार हो गई

बेकैफ जिन्दगी या अय्यो हन्नबी


दोनों जहाँ के मालिको मुख़्तार तुम से है

कहते शजर तारे हैँ अय सरकार तुमसे है

आलम में रोशनी या अय्यो हन्नबी

शाफए हश्र के दामन की हवा मिल जाए

 शाफए हश्र के दामन की हवा मिल जाए

हम गुलामों को भी जन्नत का मजा मिल जाए


लहलहा उठ्ठे मेरे आका मेरी किश्ते हयात

आपकी जुल्फ की जो काली घटा मिल जाए


फिर उसे खौफ हो महशर का न फिक्रे दोजख

आप मिल जाएँ जिसे उसको खुदा मिल जाए


मेरे माथे को सजाने के लिये ले आना

उनके जायर जो तुझे खाके श्फिा मिल जाए


जो है दीवाना शहे करबोबला का लोगों

हो नहीं सकता उसे कोई बला मिल जाए


मुझ गुनहगार को तैबा में असीरी दे दो

मेरे जुर्मों की मेरे आका सजा मिल जाए


क्या अजब है के तुझे चाँद पे जाने वाले

मेरे सरकार का नक्शे कफे पा मिल जाए


देख ले जो भी अकीदत से मदारी रौजन

अय शजर उसको मदीने का पता मिल जाए

हजरते आयशा ने कहा आपके सामने

 हजरते आयशा ने कहा आपके सामने

हेच सूरज की भी है जिया आपके सामने


आपने जब कदम रख दिये मोम पत्थर हुए

संग रेजों ने कल्मा पढ़ा आपके सामने


काबा कौसेन को देख लो इस पे शक है अगर

शब है मेराज की है खुदा आपके सामने


हर तरफ है कयामत बपा अब करम कीजिये

अर्ज करते है सब अम्बिया आपके सामने


देखते थे कभी आपको और कभी चाँद को

चाँद लगता था बेनूर सा आपके सामने


हों वो इन्सानों जिन्नों मलक साकिनाने फलक

अर्ज करते हैं सब मुददआ आपके सामने


ऐसे मलऊन पर बाखुदा दस्ते कुदरत उठा

सर उठाया है जिसने शहा आपके सामने


उम्मे सलमों के हाथों में दी खाके करबो बला

था शजर मन्ज़रे करबला आपके सामने

कोई नहीं अपना है हमदम रहमते आलम रहमते आलम

 कोई नहीं अपना है हमदम रहमते आलम रहमते आलम

लब पे यही रहता है हरदम रहमते आलम रहमते आलम


चैन आ जाएगा बिसमिल को जुल्मत दूर करो इस दिल को

नूर से भर दो नूरे मुजस्म रहमते आलम रहमते आलम


बागे नबुव्वत की कलियों में मेरे आका सब नबियों में

आप मोअख्खर आप मुकददम रहमते आलम रहमते आलम


लेके सहीफा साथ है आई आपकी जिस दम जात है आई

कुफ्र हुआ उस रोज है बेदम रहमते आलम रहमते आलम


हमको जन्नत दिलवाएगा रोजे महशर काम आएगा

आपका दामन आपका परचम रहमते आलम रहमते आलम


खजरा का दीदार करा दो शहरे मदीना हमको दिखा दो

दिल है पशेमा आँख है पुरनम रहमते आलम रहमते आलम

मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए

 मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए

तो फिर जुल्मतों के कदम थरथराए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए

बड़ा खौफ था हम थे जुल्मत की जद में

अंधेरा बहुत था हमारी लहद में

वो आए तो अन्वार भी साथ लाए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए


खुदा को नहीं जानती थी ये दुनिया

बुतों को खुदा मानती थी ये दुनिया

खुदा तक पहुँचने के रस्ते दिखाए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए


था बूजेहल कोई तो कोई था उत्बा

कोई बुलहब और कोई था शैबा

उन्हीं ने हैं फारुकों उस्माँ बनाए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए


थी छाई खिजाँ दीन के गुलसिताँ पर

तराने न ये बुलबुलों की जुबाँ पर

शजर चिटखी कलियाँ ये गुल मुस्कुराए


मोहम्मद जो आए मोहम्मद जो आए

Top Categories