उठी निगाहे करम जब तेरी गरीब नवाज झुकी हर एक नजर गैज़ की गरीब नवाज तुम्हारे दादा है मौला अली गरीब नवाज सखी हो और हो इब्ने सखी गरीब नवाज तेरी महक ने ही महकाया हिन्द का गुलशन चिटख के कहने लगी हर कल...
तेरा रुतबा सिवा है गौसे आज़म तू महबूबे खुदा है गौसे आजम कभी शैतां न होगा इसमें दाखिल मेरे दिल पर लिखा है गौसे आज़म खुदा का मुददआ मेरे नबी हैं नबी का मुददआ है गौसे आज़म विलायत चूमती है तेरे तलवे तेर...
सारे वलियों के अय ताजदार अल मदद अल मदद या मदार तुम हो महबूबे परवरदिगार अल मदद अल मदद या मदार हम परेशान हैं और मेहमान है आप तो सारे आलम के सुल्तान हैं गैर मुम्किन तलब गैर से हम करें आप मरकद में ख...
अय अली के जानशीं जहरा के जानी या हुसैन जान दी पायी हयाते जावेदानी या हुसैन कोई आलम में नहीं है तेरा सानी या हुसैन और जन्नत में है तेरी हुकमरानी या हुसैन है रसूले पाक की प्यारी निशानी या हुसैन आप...
कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं जुज तेरे आका मेरा कोई मदद गार नहीं कोई गमख्वार नहीं, कोई गमख्वार नहीं यह जमाना है अजब अय शहेन्शाहे हलब जब तलक है मतलब तब तलक मिलते हैं सब बे गरज कोई भी देता है...
आया हूं सरकार सात समन्दर पार छोड़ के सब घर बार सात समन्दर पार नूरी नूरी घर आंगन और नूरी बामो दर देखने पहुँचे हैं आका सब आपके रोजे पर लेकिन इक नादार सात समन्दर पार दुनिया की सारी नदियां जिस पर कर...
औलिया के इमाम का क्या कहना अय मदारुल मुहाम क्या कहना आप ही की है जात पर कायम है दो जहां का निजाम क्या कहना तुम जहां हो वहां बरसती हैं रहमतें सुब्हो शाम क्या कहना हिन्द में आके तुम ने छलकाया इश्क...
जमाने भर पे है इहसां मदार वालों का बहुत वसीअ है दामां मदार वालों का इन्हें जमाने की गर्दिश सता नहीं सकती है रब तआला निगेहबां मदार वालों का न क्यूं जमीनों जमां हो मदार वालों के है दो जहान का सुल्...
जलवा है मदीने का सरकार की गलियों में तारा है हर इक जर्रा सरकार की गलियों में पूरी हुयी हर मनशा सरकार की गलियों में जो मांगा है वो पाया सरकार की गलियों में यह बात जरा काजी मुतहर से कोई पूछे क्या ...
जिन्दगी की सुबह हो या शाम हो कुत्बुल मदार लब पे तेरा जिक्र तेरा नाम हो कुत्बुल मदार तुमको दरबारे नबी से पहले होता है अता हुक्म हो कोई भी कोई काम हो कुत्बुल मदार जिन्दगी हो मौत हो महशर हो या रोजे...