جب بھی شبّیر کو پکارا ہے

syed affan adeeb

جب بھی شبّیر کو پکارا ہے
مجھکو اک دم ملا سہارا ہے

قبر میں میں ملوںگا حیدر سے
موت نے اب مجھے پکارا ہے

ہو گئے شیر حسین کے صدقے
دامنِ فکر جب پسارا ہے

چومتی ہیں وفائیں لب میرے
ذکر لب پر میرے تمہارا ہے

ہیں وہی میرے حامی و ناصر
مجھکو عباس کا سہارا ہے

دور سب غم ہوئے ہیں دنیا کے
جب بھی غازی تُجھے پکارا ہے

فکرِ عفان ہے تمہاری عطا
اس پہ فضل و کرم تمہارا ہے


जब भी शब्बीर को पुकारा है
मुझको इक दम मिला सहारा है

क़ब्र में मैं मिलूंगा हैदर से
मौत ने अब मुझे पुकारा है

हो गए शेर हुसैन के सदक़े
दामने फ़िक्र जब पसारा है

चूमती हैं वफाएं लब मेरे
ज़िक्र लब पर मेरे तुम्हारा है

हैं वही मेरे हामियों नासिर
मुझको अब्बास का सहारा है

दूर सब गम हुए हैं दुनिया के
जब भी गाज़ी तुझे पुकारा है

फ़िक्रे अफ़्फ़ान है तुम्हारी अता
उस पे फ़ज़्लाे करम तुम्हारा है

jab bhi shabbir ko pukara hai

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