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वहाँ जर्रा जर्रा महो कहकशाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है

 वहाँ जर्रा जर्रा महो कहकशाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है

वहीं सरनिगूँ रिफअते आस्माँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


अबूबकरो उस्मानो फारुको बूज़र अली फात्मा और शब्बीरो शब्बर

बताऊँ के इन सब का मरकज कहाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


वहाँ से हुई दूर है बेजुबानी वहाँ उतरा है मस्हफे आस्मानी

वहीं से मिली वे जुबाँ को जुबाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


वहीं पे तो हैँ शाफए रोजे महशर वहीं पर तो है मालिके हौजे कौसर

वहीं हश्र की धूप का साएबाँ हैं मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


इलाजे जिगर की ज़रुरत नहीं है मुझे चारागर की जरुरत नहीं है

मेरे हर मरज़ की दवा तो वहाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


दरे सरवरे दीँ पे उफ् भी न करना अय जाइर अदब उनका मल्हूज़ रखना

वहाँ हर कदम इश्क का इतिहाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


अजब हुज्रए आएशा का है मन्जर है जल्वा गहे अहले बैते पयम्बर

वहाँ अपना घर याद आता कहाँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है


नजारे सितारे ये बर्गो शजर भी जिया लेने आते है शम्सो कमर भी

वहाँ मरकजे हुस्ने हर गुलिस्ताँ है मदीना जहाँ है मदीना जहाँ है

मेरे नबी का है मुखड़ा चाँद भी जिस पर है शैदा

 मेरे नबी का है मुखड़ा चाँद भी जिस पर है शैदा

नूरे मुजस्सम सल्ले अला हक अल्लाहो हक अल्लाह

आपका तैबा मिस्ले जिनाँ और पसीना मुश्को हिना

चाँद से भी रौशन तलवा हक अल्लाहो हक अल्लाह


कुफ्र का हर सू गल्बा आए जब महबूबे खुदा

सारे जहाँ में गूंज उठा हक अल्लाहो हक अल्लाह

है दुनियाँ पुर नूर हुई जुल्मत सब काफूर हुई

चाँद हिरा का जब चमका हक अल्लाहो हक अल्लाह


सेहने काबा के अन्दर छाई फजा है ईमों की

आया मदद करने को है चाचा एक भतीजे की

जुल्म न कर पाएगे अब मक्के के जालिम जाबिर

बोल उठे हैं अब हमजा हक अल्लाहो हक अल्लाह


चाँद के दो टुकड़े हैँ किये सूरज को पलटाया है

आस्मान की सैर है की पेड़ को पास बुलाया है

जब है नबी का ये रुत्बा उनका खुदा कैसा होगा

बोल उठा हर इक बन्दा हक अल्लाहो हक अल्लाह


आप वकारे दीने मुबीँ आपसा आका कोई नहीं

आपके ही हैं जेरे नगीं चाहे फलक हो चाहे जमीँ

आपसे दुनियाँ रोशन है आप की रहमत सावन है

आपके गेसू काली घटा हक अल्लाहो हक अल्लाह


कहने लगा बुजेहल के हम काबे में तो जाते हैं

बुतखाने में मेरे भला आप ना क्यूँ कर आतें हैं

अपने कुदूमे पाक को जब बुतखाने में है रक्खा

बोल उठे सब झूठे खुदा हक अल्लाहो हक अल्लाह


अर्श पे जिसका अहमद है फर्श पे नाम मोहम्मद है

नूरी नूरी मरकद है सब्ज़ वो जिसका गुम्बद है

दोनों जहाँ की रहमत है हर मुफलिस की दौलत है

नूरे खुदा है शमओ हेरा हक अल्लाहो हक अल्लाह


जिसमें न उनकी उल्फ‌त हो वो तो यकीनन दिल ही नहीं

जिसमें न उनका सौदा हो दिल वो किसी काबिल ही नहीं

जो भी नबी का दुश्मन है वो ईमाँ का रहजन है
वो शैताँ का है बच्चा हक अल्लाहो हक अल्लाह


पहले मुसलमानों पर वो जुल्मो तशददुद करते थे
शहरे अरब में रहकर भी बुत की इबादत करते थे

अहले कुफ्र को मक्के से भागने का रास्ता न मिला

चारों तरफ जब गूँज उठा हक अल्लाहो हक अल्लाह


प्यासी हैँ मेरी आँखें उनकी जियारत को मौला

हम को शजर दिखलाएंगे कब्र में वह नूरी चेहरा

आँखों को अय मेरे खुदा ताबे जियारत दे देना

सामने जब आए आका हक अल्लाहो हक अल्लाह

मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले

 मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले

लुटा कर इश्क के सजदे जबीं चमकाने वाले


सुनहरी जालियोँ से नूर की किरर्ने बिखरती हैं

जो रौशन ज़ायरे सरकार की आखों को करती हैँ

बसा कर लेते आना वो मन्जर जाने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले


बुलाया है रसूले पाक ने क्या रोक ले कोई

है किसमें ताब इतनी इनका रस्ता रोक ले कोई

मसाएब से दुनियाँ की नहीं घबराने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले


बड़ा एहसान है सरकार का सारे जमाने पर

शिफा पाता है हर बीमार उनके आस्ताने पर

बड़े किस्मत वाले हैं वो चौखट पाने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले


करम की इक नज़र सरकार डालेगें कभी तुझ पर

किसी दिन जमके बरसेगी घटा रहमत भरी तुझ पर

अय इश्के सरवरे दीं में सदफ बरसाने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले


तुम्हारे इश्क का सरकार है बीमार कह देना

शजर की इल्तजा भी जायरे सरकार कह देना

बुला लें मुझको भी वो करम फरमाने वाले


मदीने जाने वाले मदीने जाने वाले

जब भी दिले रन्जूर ने दी है सदा या मुस्तफा

 जब भी दिले रन्जूर ने दी है सदा या मुस्तफा

बरसी तुम्हारे फैज़ की मुझ पर घटा या मुस्तफा


होगा चमन हददे नज़र खुल जाएगा जन्नत का दर

महशर में जब देखेगें हम जल्वा तेरा या मुस्तफा


तुम नूर बनके आए जब दुनियाँ ने पहचाना है तब

वरना खुदा का नूर भी एक राज था या मुस्तफा


इम्दाद उसको मिल गई उसकी खिली दिल की कली

रंजो गमों आलाम में जिसने कहा या मुस्तफा


तू रब का ऐसा नूर है है माँद जिसके सामने

हर इक किरन हर एक चमक हर एक जिया या मुस्तफा


जो मुश्किलें आसाँ करे कल्बे हजी शादाँ करे

दुनियाँ में कोई भी नहीं तेरे सिवा या मुस्तफा


पत्थर बना रश्के गोहर फूला फला है वो शजर

तेरे वसीले से है की जिसने दोआ या मुस्तफा

हर एक शहर हर गली चमन चमन कली कली

हर एक शहर हर गली चमन चमन कली कली

पुकारते हैं हम सभी मेरे नबी मेरे नबी


है कौन वज्हे कुनफकाँ है कौन रश्के इन्सो जाँ

है किसकी सब पे सल्तनत मकीँ हो या हो लामकाँ

हबीब रब का कौन है तबीब सबका कौन है

पुकार उठा ये हर कोई मेरे नबी मेरे नबी


बड़ा ही खुश खिसाल है बड़ा ही बा कमाल है

नबी का जो बिलाल है वो दीन का हिलाल है

मिलें है उसको गम बहुत हुई है आँख नम बहु

मगर ज़बाँ पे था यही मेरे नबी मेरे नबी


न जुस्तजू दफीने की न है तलब खजीने की

मेरे खुदा है आरजू मुझे फक्त मदीने की

मदीना पहुँचू जिस घड़ी हो सामने दरे नबी

तो लब पे आए बस यही मेरे नबी मेरे नबी


हर उम्मती की जान हो हर एक बशर की शान हो

तुम्ही हो वज्हे कुन फकाँ तुम्ही निगेहबान हो

तुम्ही हो अर्श का सुकूँ खुदा के मेहमान हो

है जिब्रईल हैरती मेरे नबी मेरे नबी


जलेगा हर मकाँ मकीं तपेगी धूप से ज़मी

शदीद होगी धूप की तपिश मगर है ये यकीं

घटा वो बनके आऐगें वहीं मेरी बुझाऐगें

बरोजे हश्र तश्नगी मेरे नबी मेरे नबी


न पूछ मुझसे क्या हूँ मैं गुलामे मुस्तफा हूँ मैं

नबी का हूँ गदाए दर तो सब का मुददआ हूँ मैं

गुलामिये नबी मिली नबी की चाकरी मिली

अबस है अब शहिन्ही मेरे नबी मेरे नबी


नबी की जलवा गाह में रसूल की पनाह में

चला है आशिके नबी मदीना तेरी राह में

नहीं है कज कुलाह में बसा है बस निगाह में

दरे रसूले हाशमी मेरे नबी मेरे नबी


अँधेरी कब्र में शजर लगा जो तीरगी से डर

थी जा बहोत वो पुरख़तर करम ये हो गया मगर

वो नूर बनके आ गये लहद को जगमगा गये

फना हुई है तीरगी मेरे नबी मेरे नबी

फरिश्ते यूँ इबादत कर रहे हैं

 फरिश्ते यूँ इबादत कर रहे हैं

तेरे दर की जियारत कर रहे हैं


अदा आका की सुन्नत कर रहें हैँ

अली से हम मोहब्बत कर रहे हैं


सितारो आओ बढ़के दो गवाही

वो ऐलाने नबुव्वत कर रहें है


वो सिदरा से भी आगे जा चुके हैं

खड़े जिबरील हैरत कर रहे हैँ


सरों पे जैसे बैठे हों परिन्दे

सहाबा यूँ समाअत कर रहें हैं


मदीने वालों तुमको हो मुबारक

मेरे सरकार हिजरत कर रहें हैँ


सितारे चाँद गर्दिश आस्माँ पर

तुम्हारी ही बदौलत कर रहें हैँ


तुम्हारे खून की निस्बत के सदके

बशर सब मेरी इज्जत कर रहे हैँ


हरम से अर्शे आज़म तक की पूरी

वो पल में तै मसाफ़त कर रहें हैं


बुलाकर सरवरे आलम मदीने

शजर की पूरी हसरत कर रहे हैं

सभी आसियों का वही आसरा है

 सभी आसियों का वही आसरा है

जो महबूबे हक हैरसूले खुदा है


मोहम्मद का रुत्बा जहाँ में सिवा है

कोई उनके जैसा नहीं दूसरा है


बढ़ी और भी आतिशे इश्के अहमद

मदीने से आई जो ठन्डी हवा है


करम कीजिये नाखुदाए मदीना

कि तूफान में मेरा बेड़ा फंसा है


बुलाएगें कब रहमते हर दो आलम

ये जाइर से दीवाना दिल पूछता है


तेरे नूर से चाँद सूरज है रौशन

सितारों में बाकी तुझी से जिया है


ज़माने की गर्दिश न इससे उलझ तू

शजर तो मोहम्मद के दर का गदा है

हुजूरी की हर दम दुआ माँगते हैं इन आँखों में आँसू मचलते मचलते

 हुजूरी की हर दम दुआ माँगते हैं इन आँखों में आँसू मचलते मचलते

दयारे मदीना से हम दूर रहकर कहाँ तक रहेगें तड़पते तड़पते


तेरी जुल्फ का मोजिजा है ये आका दो आलम रहेगें महकते महकते

जिया चाँद तारों को देता रहेगा तेरा नूरी तल्वा चमकते चमकते


हर एक आँख नम थी हर एक दिल में गम था मदीने में था एक कोहराम बरपा

सुनी अहले तैबा ने बादे नबी जब अजाने बिलाली बिलखते बिलखते


यही आरजू है यही है तमन्ना बस एक बार मैं देख लू तेरा रौजा

बुला लो मदीने में अय मेरे आका हुई एक मुददत तड़पते तड़पते


करूँ मदह तेरी क्या औकात मेरी कहाँ नाते सरवर कहाँ जात मेरी

तेरा ही वुफूरे करम है ये आका संभलता रहा हूँ बहकते बहकते


अकेला शजर ही नहीं मदहख्वाँ है नबी का तो मद्दाह सारा जहाँ है

हैं गाते परिन्दे भी नग्में नबी के हर एक सुब्ह उठकर चहकते चहकते

मेरे आका करम फरमाइयेगा

 मेरे आका करम फरमाइयेगा

मदीना हमको भी बुलवाइयेगा


कभी सर पर मेरे जो आए मुश्किल

मदद के वास्ते आ जाइयेगा


यकीनन आएगें नूरे मुजस्सम

न हरगिज़ कब्र में घबराइयेगा


हो दिल तैबा की फुरकत से परेशाँ

नबी की नात से बहलाइयेगा


है खाली दिल की बस्ती रहमते कुल

हमारे सीने में बस जाइयेगा


जो बरसें आपकी फुरकत में आँखें

हुजूर अबरे करम बरसाइयेगा


नज़र में सीरते सरकार रख के

मसाइल जीस्त के सुलझाइयेगा


लिबासे रहबरी पहनें है रहजन

शजर हरगिज न धोका खाइयेगा

फिदाका या रसूलल्लाह फिदाका या रसूलल्लाह

 फिदाका या रसूलल्लाह फिदाका या रसूलल्लाह

जमाले रुए अन्वर से हैं ये आँखे मेरी रौशन

पसीना तेरा महकाए हुए है दिल का ये गुलशन

बसा इस दिल में बस तू है कि साँसों में तेरी बू है

है जेहनों में तेरा नक्शा फिदाका या रसूलल्लाह


अबू अय्यूब अन्सारी अनस सलमानों बू मूसा

अबू अस्वद बेलालो जैदो हस्सानो अबू तल्हा

वो सिददीको उमर हैदर वो जुन्नूरैन और बूजर

सहाबा का हर इक बच्चा फिदाका या रसूलल्लाह


सुहानी रात में ये जो सितारे जगमगाते हैं

उतरती चाँदनी है और जुगनू टिमटिमाते हैं

ये भंवरे गीत गाते हैं ये गुल जो मुस्कुराते हैं

तुम्हारे ही लिये आका फिदाका या रसूलल्लाह


तमन्नाए दिली मेरी जो बर आए तो क्या कहना

तुम्हारे आस्तों की दीद हो जाए तो क्या कहना

है आँखो में तेरा रौजा मगर मजबूर हूँ आका

बुला लीजे मुझे तैबा फ़िदाका या रसूलल्लाह


सजाए ख्वाब आखों में बसाए दिल में गम तेरा

हूँ बैठा राहे तैबा पर के कब होगा करम तेरा

बुलावा आएगा कब तक शजर मुस्काएगा कब तक

तेरा दीदार कब होगा फिदाका या रसूलल्लाह

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