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जिन्दगी की सुबह हो या शाम हो कुत्बुल मदार

 जिन्दगी की सुबह हो या शाम हो कुत्बुल मदार

लब पे तेरा जिक्र तेरा नाम हो कुत्बुल मदार


तुमको दरबारे नबी से पहले होता है अता

हुक्म हो कोई भी कोई काम हो कुत्बुल मदार


जिन्दगी हो मौत हो महशर हो या रोजे जज़ा

तुम ही से आगाज़ तुम अंजाम हो कुत्बुल मदार


काश मैखाना तेरा हो और तू हो रूबरू

हाथ में इश्के नबी का जाम हो कुत्बुल मदार


यह तमन्ना ए दिली है इस शजर का भी सदा

खादिमाने सिलसिला में नाम हो कुत्बुल मदार
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