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वुजूदे खाक में नूरी समन्दर डूब जाते हैँ

 वुजूदे खाक में नूरी समन्दर डूब जाते हैँ

तुम्हारे इश्क में आका हम अक्सर डूब जाते हैँ


नबी के नाम लेवा दौड़ते फिरते हैं दरिया पर

जो हैं अज़्मत के मुनकिर मिस्ले पत्थर डूब जाते हैं


जमाले यूसुफी कुरबान आका तेरे जलवों में

बिलालो जैद और सलमानों अबूज़र डूब जाते हैं


जरा उम्मी लकब के इल्म की रिफअत कोई देखे

के इनके इल्म के कतरों में सागर डूब जाते हैं


डुबाना चाहते है जो तेरी अज़मत की कश्ती को

यकीनन बहरे जुल्मत में वो यक्सर डूब जाते हैं


उभरता है फलक पर उस घड़ी ईमान का सूरज

जो बहरे जुल्म में शब्बीरो शब्बर डूब जाते हैं


दरे खैरुलवरा पर जब रसाई हो नहीं पाती

तो गम में मुफ्लिसों नादारो बेज़र डूब जाते हैँ


शजर वो डूब सकते ही नहीं हुस्ने मनाज़िर में

के जिनकी आँखों में तैबा के मन्ज़र डूब जाते हैं।
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