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शाफए हश्र के दामन की हवा मिल जाए

 शाफए हश्र के दामन की हवा मिल जाए

हम गुलामों को भी जन्नत का मजा मिल जाए


लहलहा उठ्ठे मेरे आका मेरी किश्ते हयात

आपकी जुल्फ की जो काली घटा मिल जाए


फिर उसे खौफ हो महशर का न फिक्रे दोजख

आप मिल जाएँ जिसे उसको खुदा मिल जाए


मेरे माथे को सजाने के लिये ले आना

उनके जायर जो तुझे खाके श्फिा मिल जाए


जो है दीवाना शहे करबोबला का लोगों

हो नहीं सकता उसे कोई बला मिल जाए


मुझ गुनहगार को तैबा में असीरी दे दो

मेरे जुर्मों की मेरे आका सजा मिल जाए


क्या अजब है के तुझे चाँद पे जाने वाले

मेरे सरकार का नक्शे कफे पा मिल जाए


देख ले जो भी अकीदत से मदारी रौजन

अय शजर उसको मदीने का पता मिल जाए
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