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सभी आसियों का वही आसरा है

 सभी आसियों का वही आसरा है

जो महबूबे हक हैरसूले खुदा है


मोहम्मद का रुत्बा जहाँ में सिवा है

कोई उनके जैसा नहीं दूसरा है


बढ़ी और भी आतिशे इश्के अहमद

मदीने से आई जो ठन्डी हवा है


करम कीजिये नाखुदाए मदीना

कि तूफान में मेरा बेड़ा फंसा है


बुलाएगें कब रहमते हर दो आलम

ये जाइर से दीवाना दिल पूछता है


तेरे नूर से चाँद सूरज है रौशन

सितारों में बाकी तुझी से जिया है


ज़माने की गर्दिश न इससे उलझ तू

शजर तो मोहम्मद के दर का गदा है
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