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सुकून घर में मिले मुतमइन सफर में रहे

 सुकून घर में मिले मुतमइन सफर में रहे

मदारे पाक की जो शख्स भी नज़र में रहे


नबी के हुक्म से तबलीगे दीन की खातिर

तमाम उम्र मदारे जहां सफर में रहे


तुम्हारे दिल में मोहब्बत रहे मदारे जहां

तुम्हारे इश्क का सौदा हमारे सर में रहे


तुम्हारे प्यार ने बख्शा जो कैफे कैफियत

खुदा करे वो सदा दर्द सा जिगर में रहे


अजब बशर ये मिला या मकामे समदियत

बशर से दूर रहे जुम रए बशर में रहे


मुझे सदा से हिमायत है आपकी हासिल

हों जिसके आप वो क्यों कर किसी के डर में रहे


अबुल वकार के शजरे को जो मुयस्सर है

खुदा करे वही पाकीज़गी शजर में रहे
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