हर एक है शैदायी हर एक है दीवाना

 हर एक है शैदायी हर एक है दीवाना

सरकार का ऐसा है अन्दाज करीमाना


मैखार हैं छलकाते मै इश्के रिसालत की

है रश्के मए कौसर सरकार का मैखाना


बेकार है आकाई मेरे लिये ऐ आका

हस्ती जो मेरी गुजरे इस दर पे गुलामाना


अब अपनी मुहब्बत से लिल्लाह इसे भर दो

अय कुत्बे जहां शायद खाली है यह पैमाना


अय कुत्वे जहां तेरा दरबार है कुछ ऐसा

हर एक को मिलता है अपना हो या बेगाना


इस आलमे हस्ती में जब तू न सुकूं पाये

ऐ मेरे दिले मुजतर इस दर पे चले आना


अब इश्को मोहब्बत के बुझते हुए अंगारे

सरकार की नगरी में रह कर के है दहकाना


दीवानगी नादानी इस दर की अजब देखी

हुश्यार है दीवाना नादान भी है दाना


जब कुत्बे दो आलम की निस्बत का है गहवारा

फिर हो न शजर कैसे रोशन तेरा काशाना
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