मेरे आका करम फरमाइयेगा
मदीना हमको भी बुलवाइयेगा
कभी सर पर मेरे जो आए मुश्किल
मदद के वास्ते आ जाइयेगा
यकीनन आएगें नूरे मुजस्सम
न हरगिज़ कब्र में घबराइयेगा
हो दिल तैबा की फुरकत से परेशाँ
नबी की नात से बहलाइयेगा
है खाली दिल की बस्ती रहमते कुल
हमारे सीने में बस जाइयेगा
जो बरसें आपकी फुरकत में आँखें
हुजूर अबरे करम बरसाइयेगा
नज़र में सीरते सरकार रख के
मसाइल जीस्त के सुलझाइयेगा
लिबासे रहबरी पहनें है रहजन
शजर हरगिज न धोका खाइयेगा