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जमाने भर पे है इहसां मदार वालों का

 जमाने भर पे है इहसां मदार वालों का

बहुत वसीअ है दामां मदार वालों का


इन्हें जमाने की गर्दिश सता नहीं सकती

है रब तआला निगेहबां मदार वालों का


न क्यूं जमीनों जमां हो मदार वालों के

है दो जहान का सुल्तां मदार वालों का


यह उनकी आल हैं जिब्रील जिनके दरबां थे

हदीसें इनकी हैं कुरआं मदार वालों का


बशक्ले अशरफो बरकातो साबिरो वारिस

है आम खल्क में फैजां मदार वालों का


हर एक सम्त में गूंजे मदार का नारा

यही है दोस्तो अरमां मदार वालों का
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