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तस्वीर शहे दीं है जौ बार ताजिये में

 तस्वीर शहे दीं है जौ बार ताजिये में

शब्बीर के बिखरे हैं अनवार ताजिये में


ख्वाजा से कोई पूछे वारिस से कोई जाने

शब्बीर का होता है दीदार ताजिये में


अब्बास के बाजू हैं अकबर का भी लाशा है

देखे तो कोई दिल से इक बार ताजिये में


शब्बीर की कुर्बानी यह याद दिलाता है

आका का झलकता है ईसार ताजिये में


हां इस लिए जाते हैं हम उसकी जियारत को

खुलते हैं शहादत के असरार ताजिये में


शब्बीर के सदके में अल्लाह शिफा देगा

जा जाकर लग जा ऐ बीमार ताजिये में
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