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मदीने के वाली दो आलम के सरवर हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर

 मदीने के वाली दो आलम के सरवर

हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर

नहीं सब्र में कोई तेरे बराबर

हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


हो तुम शाफए रोजे महशर के दिलबर

हो तुम ही शहा वारिसे हौजे कौसर

तुम्ही नाजे जिन्नो मलक फख्रे हैदर

तुम्ही जन्नती नौजवानों के सरवर

हो तुम सब से आला हो तुम सबसे बेहतर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


लुटी पल में है उम्र भर की कमाई

कि जैनब के बच्चों ने जां है गंवायी

मगर फिर भी भाई से जैनब यह बोली

अगर होते कुछ और बेटे तो भाई

मैं कर देती उनको भी तुम पर निछावर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


यही बाइसे नूरो इरफान होंगे

यही वजहे तहफीजे कुरआन होंगे

यही जान देकर बचायेंगे दी को

रहे हक में कर्बल में कुर्बान होंगे

ये औनो मुहम्मद यह कासिम यह अकबर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


तहारत दो आलम को है सदका जिनका

है ऊँचा हर एक फर्द से दरजा जिनका

दो आलम में मशहूर है पर्दा जिनका

न देखा था सूरज ने भी चेहरा जिनका

छिनी आज उनके सरों से है चादर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


सहूंगी भला कैसे दर्दे जुदायी

कहा रो के जैनब ने ऐ मेरे भाई

कहां मेरी तकदीर है मुझको लायी

कयामत से पहले कयामत है आयी

ये है कौनसा इम्तिहां ऐ बिरादर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


थी आँखों में बिन्ते पयम्बर की मरकद

दमे आखरी सामने रब का जलवा

तसव्वुर में था तेरे नाना का रौजा

था दिल में मदीने की गलियों का नक्शा

बसा था निगाहों में तैबा का मनजर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


जमाने को दर्स वफा दे दिया है

पयामे रसूले खुदा दे दिया है

सलीका न था बनदगी का किसी को

सलीका इबादत का सिखला दिया है

शहा तुम ने सजदे में सर को कटा कर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर


चरागे शहे दीं बुझाने चले थे

घराना नबी का मिटाने चले थे

वो खुद मिट गये मिट न पाया तेरा घर

मिटाने तुझे जो घराने चले थे

शजर अब भी बाकी है आले पयम्बर


हुसैन इब्ने हैदर हुसैन इब्ने हैदर
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